संसद को न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को संचालित करने का अधिकार : केंद्र

नयी दिल्ली : उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के कानून को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त करने के करीब एक महीने बाद सरकार ने आज इस बात पर जोर दिया कि संसद को शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों को नियुक्त करने की प्रक्रिया और मानदंडों का ‘संचालन’ करने का ‘अधिकार’ है. लोकसभा में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2015 5:12 PM

नयी दिल्ली : उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के कानून को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त करने के करीब एक महीने बाद सरकार ने आज इस बात पर जोर दिया कि संसद को शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों को नियुक्त करने की प्रक्रिया और मानदंडों का ‘संचालन’ करने का ‘अधिकार’ है.

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने कहा, ‘‘…संसद को संविधान के दायरे में उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों को नियुक्ति करने की प्रक्रिया और मनदंडों के संचालन करने का अधिकार है.’ निचले सदन में 10 सदस्यों ने सरकार से सवाल पूछा था कि क्या सरकार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति अधिनियम 2014 की समीक्षा का प्रस्ताव करती है. उच्चतम न्यायालय ने 16 अक्तूबर को इस कानून को निरस्त कर दिया था. सदस्यों ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सरकार के प्रस्तावित कदमों का ब्यौरा मांगा था. विधि मंत्री ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति की कालेजियम प्रणाली फिर से परिचालन में आ गयी है. गौडा ने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय कालेजियम प्रणाली के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए उपयुक्त कदम उठाने पर विचार कर रही है और उसने इस संबंध में सुझाव पेश किये हैं. एनजेएसी पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद पहली बार विधि मंत्री ने संसद में इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है.

संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर राज्यसभा में 27 नवंबर को चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि कानून में ऐसी किसी स्थिति को उचित नहीं ठहराया जा सकता कि भारत के प्रधान न्यायधीश अन्य न्यायाधीशों को नियुक्त करें और अन्य अप्रासंगिक हो जाएं. उन्होंने कहा था कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति विचार विमर्श की प्रक्रिया के तहत हो. इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद छह महीने के अंतराल के बाद कालेजियम प्रणाली बहाल हो गयी. समाजवादी पार्टी ने एनजेएसी को निरस्त करने के शीर्ष अदालत के फैसले परकड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए संसद में इस विषय पर चर्चा कराने को कहा है.

Next Article

Exit mobile version