शिवसेना का कटाक्ष : मोदी के ‘होमपिच” गुजरात में ‘‘खतरे की घंटियां”” बजनी क्यों शुरू हो गयी है?

मुंबई : भारतीय जनता पार्टी की सबसे पुरानी मित्र शिवसेना उसके जले पर नमक छिड़कने का कोई मौका नहीं चुकती है. दोनों पार्टियों के रिश्ते अजीब विरोधाभाषों से भरे हैं. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार को हीरो बताने के बाद अब शिवसेना ने गुजरात निकाय चुनाव परिणाम के बहाने भाजपा पर कटाक्ष किया है. गुजरात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2015 1:47 PM

मुंबई : भारतीय जनता पार्टी की सबसे पुरानी मित्र शिवसेना उसके जले पर नमक छिड़कने का कोई मौका नहीं चुकती है. दोनों पार्टियों के रिश्ते अजीब विरोधाभाषों से भरे हैं. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार को हीरो बताने के बाद अब शिवसेना ने गुजरात निकाय चुनाव परिणाम के बहाने भाजपा पर कटाक्ष किया है. गुजरात स्थानीय निकाय के चुनावी नतीजों को ‘‘कांग्रेस के लिए हार के बावजूद जीत’ वाली स्थिति करार देते हुए राजग के सहयोगी दल शिवसेना ने आज कहा कि ये नतीजे दिखाते हैं कि गुजरात की जनता पूरी तरह से प्रधानमंत्री के पीछे नहीं खड़ी है और भाजपा को यह आकलन करना चाहिए कि नरेंद्र मोदी की ‘होमपिच’ यानी गृह राज्य में आखिर ये ‘‘खतरे की घंटियां’ बजनी क्यों शुरू हो गयी हैं?

शिवसेना ने यह भी कहा कि इस बात का अध्ययन किया जाना चाहिए कि जब राज्य विकास के मामलों में अपने ‘नंबर वन’ होने का दावा करता है तो भाजपा राज्य के ग्रामीण इलाकों में हार क्यों गयी? शिवसेना ने कहा कि 20 साल तक सत्ता से बाहर रहने वाली कांग्रेस ने गुजरात के ग्रामीण इलाकों में शानदार वापसी की है, जहां यह 31 जिला पंचायतों में से 21 और 230 तालुका पंचायतों में से लगभग 110 में जीती है. जबकि भाजपा सभी छह नगर निगमों और 56 नगरपालिकाओं में से 40 में जीतकर शहरी इलाकों पर अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही है.

बिहार विधानसभा चुनावों में हारने के बाद भाजपा को अब गुजरात के ग्रामीण इलाकों के स्थानीय निकायों में हार का सामना करना पड़ा है. यह हार एक ऐसे समय हुई है, जब राज्य में 12 साल तक शासन कर चुके नरेंद्र मोदी को दिल्ली गए हुए एक साल से ज्यादा हो गया है.

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा गया, ‘‘निकाय चुनावों के नतीजे यही दिखाते हैं कि गुजरात की जनता पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे नहीं खड़ी है. हालांकि भाजपा सभी छह नगर निगमों में जीती है लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि कांग्रेस हार गयी है.’ संपादकीय में कहा गया, ‘‘नगर निगमों पर भाजपा का शासन होगा और जिला परिषदों पर कांग्रेस का. संक्षेप में कहें तो कांग्रेस इस चुनाव में हारने के बावजूद जीत गयीहै. भाजपा को अब यह आंकने की जरूरत है कि नरेंद्र मोदी की ‘होमपिच’ पर खतरे की घंटियां बजनी क्यों शुरू हो गयी हैं?’ सत्तारूढ़ गंठबंधन के सहयोगी दल ने यह भी कहा कि बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को एक नया जीवन मिलना ठीक है लेकिन मोदी के गृह राज्य में पार्टी के द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया जाना भारी चिंता का विषय है.

शिवसेना ने कहा, ‘‘यह अध्ययन कराए जाने की जरूरत है कि यदि विकास के मामले में नंबर वन राज्य केरूप में पेश की जा रही गुजरात की तस्वीर सच्ची है तो फिर ग्रामीण इलाकों में लोग भाजपा के खिलाफ क्यों हो गए?’ शिवसेना ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में मतदाता सर्वोच्च होता है और इसने बड़े-बड़े नेताओं को उनका स्थान दिखा दिया है. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस-मुक्त भारत का नारा दिया था लेकिन बिहार के बाद कांग्रेस अब गुजरात में भी बढी रही है.’ संपादकीय में कहा गया, ‘‘इन नतीजों ने कांग्रेस को खुश होने का मौका दे दिया है.’

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