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सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का असर दो-तीन सालों तक ही : जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वह राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित नहीं हैं तथा सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए अतिरिक्त व्यय की जरूरतों के बावजूद घाटे को सीमित रखने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा. उन्होंने स्वीकार किया कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2015 3:58 PM
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नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वह राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित नहीं हैं तथा सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए अतिरिक्त व्यय की जरूरतों के बावजूद घाटे को सीमित रखने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा. उन्होंने स्वीकार किया कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का सरकारी खजाने पर असर 2-3 साल तक जरूररहेगा क्योंकि इसके लिए सालाना 1.02 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय की जरूरत है.

वित्त मंत्री ने यह एक प्रमुख अखबार के कार्यक्रम में यह बात कही. उन्होंने कहा, वेतन आयोग की सिफारिशों के राजकोष पर संभावित प्रभावित के बारे में पूछे जाने पर कहा ‘‘हमें राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर कोई खास चिंता नहीं है.’ उन्होंने कहा कि इसके लक्ष्यों को पूरा करने के साथ-साथ उनकी सरकार राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता को सुधारने में भी कामयाब रही है. सरकार ने राजकोषीय घाटे को चालू वित्त वर्ष में 2015-16 में जीडीपी के 3.9 प्रतिशत, 2016-17 में 3.5 प्रतिशत और 2017-18 तक इसे तीन प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है.

जेटली ने कहा ‘‘यदि आप खर्च काट कर या कर-रिफंड रोक कर दिखाते हैं कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा हो गया तो आप ने सांख्यिकीय तौर पर आंकडा जरूरपूरा कर लिया होगा, पर, राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता हमेशा संदिग्ध रहेगी. हमने राजकोषीय घाटे की गणुवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया है और हम शायद इसे बरकरार रखने में कामयाब रहेंगे.’ केंद्रीय बैंक के कर्मचरियों को वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरूप वेतन देने के संबंध में जेटली ने कहा कि सामान्य नियम है कि वेतन और पेंशन पर व्यय सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
उन्होंने कहा सिफारिशों पर अमल के शुुरुआती वर्षों में यह अनुपात गड़बड़होगा पर ‘..सकल घरेलू उत्पाद का आधार बढने पर तीसरे या चौथे साल में (वेतन-पेंशन खर्च) के अनुपात में यह उछाल कम हो जाएगा और ( इसके बाद) आप पुन: तर्कसंगत तरीके से 2.5 प्रतिशत के आंकडे पर वापस लौट आएंगे. यह दबाव अगले दो-तीन साल के लिए ही होगा.’

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