अनिवार्य मतदान के लिए अभी तैयार नहीं है देश : लोस सदस्य
नयी दिल्ली: देश में अनिवार्य मतदान के विचार को आज लोकसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने नकारते हुए कहा कि अभी देश मतदान प्रक्रिया में इस चरण तक पहुंचने के लिए परिपक्व नहीं हुआ है जहां काफी बडी आबादी आज भी अशिक्षित और अंधविश्वासों में घिरी है. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भाजपा […]
नयी दिल्ली: देश में अनिवार्य मतदान के विचार को आज लोकसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने नकारते हुए कहा कि अभी देश मतदान प्रक्रिया में इस चरण तक पहुंचने के लिए परिपक्व नहीं हुआ है जहां काफी बडी आबादी आज भी अशिक्षित और अंधविश्वासों में घिरी है. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भाजपा के जनार्दन सिंह सिगरीवाल द्वारा पेश निजी विधेयक ‘अनिवार्य मतदान विधेयक’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि अर्जेंटीना और आस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में मतदान को अनिवार्य किए जाने के बाद अब वहां भी धीरे धीरे इस व्यवस्था से पीछे हटा जा रहा है. उन्होंने कहा, यहां तक कि गुजरात में भी अनिवार्य मतदान की व्यवस्था को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में आज भी अंधविश्वास, अशिक्षा और गरीबी है जिसके चलते वह अभी अनिवार्य मतदान के लिए परिपक्व नहीं हुआ है. भाजपा के महेश गिरी ने कहा कि अनिवार्य मतदान की भारतीय समाज के लिहाज से अपनी कुछ सीमाएं हैं. इससे जहां व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी तो वहीं कानून व्यवस्था से जुडे मुद्दे भी पैदा होंगे। उन्होंने हालांकि देश में सभी प्रकार के चुनाव एक समय पर कराने की व्यवस्था करने का सुझाव दिया. मतदान को अनिवार्य बनाए जाने का विरोध करते हुए भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि यह व्यवहार्य नहीं है.
उन्होंने कहा कि जिन देशों में मतदान अनिवार्य था उनमें से भी कई देशों में इस व्यवस्था को रद्द कर दिया गया है. उन्होंने इसके बजाय चुनाव प्रक्रिया में सुधार पर जोर देते हुए चुनाव आयोग का एक पृथक कैडर तैयार करने और दल बदल विरोधी कानून को मजबूत बनाने का सुझाव दिया. विधेयक पर चर्चा अधूरी रही