सार्वजनिक उपक्रमों को नौकरशाही के नियंत्रण से छूट की जरुरत:मनमोहन
नयी दिल्ली : सरकारी उपक्रमों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का पक्ष लेते हुए समर्थन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को काम की अधिक स्वायत्तता मिले और ये लीलफीताशाही के नियंत्रण से मुक्त हों.उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में हमारी सरकारों को प्रतिस्पर्धा-निष्पक्ष नीतियां अपनानी होंगी. प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष नीति […]
नयी दिल्ली : सरकारी उपक्रमों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का पक्ष लेते हुए समर्थन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को काम की अधिक स्वायत्तता मिले और ये लीलफीताशाही के नियंत्रण से मुक्त हों.उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में हमारी सरकारों को प्रतिस्पर्धा-निष्पक्ष नीतियां अपनानी होंगी. प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष नीति के लिए आवश्यक है कि सरकार अपनी विधायी और राजकोषीय शक्तियों का इस्तेमाल निजी क्षेत्र के मुकाबले अपने कारोबार को बेजा फायदा पहुंचाने के लिए न करे.’’
सिंह ने आज यहां दो दिसवीय ब्रिक्स प्रतिस्पर्धा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि इसका समाधान इस बात में है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को काम काम में ज्यादा स्वायत्तता दी जाए और लालफीताशाही के नियंत्रण से मुक्त किया जाए.’’ सिंह ने कहा कि यह समाधान नहीं हो सकता कि पहले सार्वजनिक उपक्रमों की प्रतिस्पर्धात्मकता में चूक को सहन किया जाए और फिर उन्हें प्रतिस्पर्धा से बचाया जाए. सिंह ने कहा कि स्वामित्व के ढांचे के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने संरक्षित बाजार और प्रतिस्पर्धा से बचाव का फायदा उठाया है.
सिंह ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का प्रतिस्पर्धा के दायरे में लाना महत्वपूर्ण मुद्दा है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास किसी कंपनी का स्वामित्व होने का मतलब यह नहीं है कि वह कंपनी को प्रतिस्पर्धा से भी संरक्षण प्रदान करेगी. प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘दुर्भाग्य से सरकारी स्वामित्व आवश्यक रुप से अपने साथ निर्णय की नौकरशाही शैली लाती है नतीजतन ऐसे उपक्रम बाजार में बराबरी वाली कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते.’’