आतंकवाद से केवल दुख मिला:उमर

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज यह कहते हुए राजनीतिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाने की वकालत की कि आतंकवाद और हिंसा से कुछ भी नहीं बदला बल्कि इससे केवल राज्य में दुख आया और रक्तपात हुआ. उमर ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद और हिंसा से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2013 6:53 PM

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज यह कहते हुए राजनीतिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाने की वकालत की कि आतंकवाद और हिंसा से कुछ भी नहीं बदला बल्कि इससे केवल राज्य में दुख आया और रक्तपात हुआ.

उमर ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद और हिंसा से जम्मूकश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में रंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हुआ बल्कि इससे दुख, आर्थिक विपत्ति और रक्तपात हुआ.’’ उन्होंने पुलवामा जिले में त्रल में कहा, ‘‘मैंने हमेशा ही बातचीत की जरुरत की बात की है और जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मुद्दों को राजनीतिक तरीके से सुलझाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के उद्देश्य से इस पर जोर देता रहूंगा.’’ उन्होंने कहा कि मुद्दों को सुलझाने में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और यह समस्याओं का हल खोजने में मुश्किलें बढ़ाता है.

उमर ने कहा, ‘‘गत 25 वर्ष के दौरान आपने भय और रक्तपात देखा. इसने केवल हमें नुकसान पहुंचाया और जख्म दिए. हिंसा ने एक इंच जमीन भी इस तरफ से उस तरफ स्थानांतरित नहीं की बल्कि राज्य के प्रत्येक घर में आंसू दिये. इसने हमारे खेल के मैदानों को कब्रगाह में और खुशहाल घरों को मातम के अड्डों में तब्दील कर दिया.’’उमर ने पूछा कि क्या राजनीतिक मुद्दों को राजनीतिक प्रक्रिया में सतत वार्ता प्रक्रिया के जरिये सुलझाने का उनका एजेंडा गलत है, ‘‘तो फिर आगे का तरीका क्या है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताइये वार्ता की मेज पर शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत करने के अलावा और क्या उपाय है.’’ उन्होंने कहा कि अलगाववादी राज्य के लोगों के लिए कुछ भी हासिल नहीं कर पाये.

उन्होंने कहा, ‘‘परिणाम आपके सामने है. वे (अलगाववादी) रक्तपात और लोगों के लिए मुश्किलें पैदा करने के अलावा कुछ अन्य नहीं मुहैया करा पाये. राज्य की व्यवस्था और झंडा बदलने का उनका दावा पूरी तरह से असफल साबित हुआ और व्यवस्था परिवर्तन की तो बात छोड़ दीजिये वे राज्य से एक बंकर भी नहीं हटा पाये.’’उन्होंने कहा, ‘‘अब वे बिजली की कमी और आधारभूत ढांचा निर्माण की बात कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि विकास के पहलू और बिजली में सुधार सीमापार से या पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दूत सरताज अजीज से बात करने से नहीं आएगा. उन्होंने कहा, ‘‘यह व्यवस्था का हिस्सा बनकर और राज्य के मुद्दों को लोकतांत्रिक तरीके से सुलझाने से आएगा.’’

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