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पवार की आत्मकथा में राजीव गांधी की अनसुनी बातें

नयी दिल्ली : एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी और देश के एक और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के एक प्रसंग की चर्चा की है. शरद पवार ने अपनी आत्मकथा ‘ऑन माई टर्म्स: फ्राम ग्रासरूट टू द कॉरिडोर ऑफ पवार ‘ में राजीव गांधी और चंद्रशेख के […]

नयी दिल्ली : एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी और देश के एक और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के एक प्रसंग की चर्चा की है. शरद पवार ने अपनी आत्मकथा ‘ऑन माई टर्म्स: फ्राम ग्रासरूट टू द कॉरिडोर ऑफ पवार ‘ में राजीव गांधी और चंद्रशेख के उस प्रस्ताव की चर्चा की है जिसमें राजीव गांधी ने चंद्रशेखर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. शरद पवार ने लिखा है कि चार मार्च 1991 को उनकी बेटी सुप्रिया सुले की शादी में देश के दो बड़े नेता शामिल हुए थे. जिनमें चंद्रशेखर और राजीव गांधी शामिल थे.

चंद्रशेखर के प्रस्ताव को राजीव ने ठुकराया

शरद पवार की किताब के मुताबिक शादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राजीव गांधी को अपने सरकारी विमान से दिल्ली चलने का प्रस्ताव दिया था. राजीव गांधी ने पहले इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और बाद में चंद्रशेखर को मना कर दिया. द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक शरद पवार की आत्मकथात्मक पुस्तक का विमोचन शरद पवार के जन्मदिन पर आज ही के दिन विज्ञान भवन में होना है. पवार की आत्मकथा में यह भी खुलासा है कि इस घटना के दो दिन बाद ही कांग्रेस ने चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और देश को आम चुनाव से गुजरना पड़ा था. पवार की पुस्तक में उस समय की राजनीति के कई बातों का खुलासा भी है.

चंद्रशेखर की मदद से बने पवार सीएम

शरद पवार ने पुस्तक में चर्चा की है कि 1978 में वह पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर के समर्थन से ही बने थे. 1990 में जब बीपी सिंह की सरकार गिरी थी और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने तो उन्हें बधाई देने के लिए शरद पवार पूरे परिवार के साथ दिल्ली गए थे. पवार ने किताब में चर्चा की है कि उनकी बेटी के आग्रह पर प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने प्रोटोकॉल तोड़कर महाराष्ट्र भवन में बेटी के साथ नास्ता किया था.

पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए पवार ने लिखा है कि राजीव गांधी ने चंद्रशेखर का ऑफर ठुकराने के बाद उनसे कहा था कि मैं उनके यानि चंद्रशेखर के साथ जाना नहीं चाहता तुम उन्हें जाने के लिए कह सकते हो. शरद पवार की किताब में और भी कई राजनीतिक घटनाओं की विस्तार से चर्चा की गयी है. जिसमें उनके महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनने के अलावा केंद्रीय राजनीति की घटनाओं का भी जिक्र है.

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