दलितों को लुभाने के लिए RSS का ‘सामाजिक समरसता अभियान’
भोपाल : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अगले साल हिंदुओं में ‘‘सामाजिक सद्भाव’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक देशव्यापी अभियान शुरु करने जा रहा है.प्रतीत होता है कि यह अभियान खास तौर पर दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हिंदुओं को आकर्षित करने के लिए चलाया जाएगा जिन पर उत्तर प्रदेश में […]
भोपाल : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अगले साल हिंदुओं में ‘‘सामाजिक सद्भाव’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक देशव्यापी अभियान शुरु करने जा रहा है.प्रतीत होता है कि यह अभियान खास तौर पर दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हिंदुओं को आकर्षित करने के लिए चलाया जाएगा जिन पर उत्तर प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा की उम्मीदें टिकी हैं. उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
इस वक्त इस अभियान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि मोहन भागवत द्वारा दिया गया आरक्षण नीति पर समीक्षा की आवश्यकता का सुझाव उस समय उल्टा साबित हुआ, जब पिछले दिनों बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई और इसका कारण भागवत के सुझाव को बताया गया. आरएसएस के मध्य भारत प्रांत संघचालक सतीश पिंपलेकर ने आज बताया, ‘‘हम 3 जनवरी से 10 जनवरी तक हमारी शाखाओं में सामाजिक समरसता पर विचार मंथन करेंगे.
इसमें शाखा के सभी प्रतिभागियों को शामिल होने के लिये कहा गया है.’ उन्होंने कहा कि इसके बाद शाखा के कार्यकर्ता संघ सामाजिक समसरता के बारे नजरिया पूरे समाज में फैलायेंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मकर सक्रांति (14 जनवरी) के मौके पर आरएसएस दोपहर के भोजन का भी आयोजन करेगा. इसमें अलग-अलग परिवारों द्वारा निर्मित तिल के व्यंजन लाये जायेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘अलग-अलग जाति, पंथ और भाषा के लोग साथ बैठकर भोजन करेंगे. इससे हिं समाज में सामाजिक समरसता को बढावा मिलेगा. ‘ पिंपलेकर ने बताया कि संघ द्वारा 7 फरवरी को सम्पूर्ण मध्य भारत प्रांत में ‘‘सामाजिक समरसता यज्ञ’ भी आयोजित किये जा रहे हैं जिसमें दलितों सहित विभिन्न जातियों के लोग शामिल होंगे.
आरएसएस के पदाधिकारी ने कहा कि इस अभियान में कुछ भी नया नहीं है. हमारा उद्देश्य इसके जरिये हिंदुओं में सामाजिक समरसता को बढाना है जो कि हिन्दू समाज में संघ दशकों से करते आ रहा है. उन्होंने बताया कि संघ के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिये गये निर्णय के बाद संघ देशभर में अपने 11 क्षेत्रों में यह अभियान चलाने जा रहा है. सभी क्षेत्रों के अलग अलग प्रांत इसके तहत अपने कार्यक्रम निर्धारित कर रहे हैं. इस बीच, आरएसएस ने हिन्दू सामाजिक समरसता पर संघ के दृष्टिकोण को जाहिर करने वाली पुस्तक ‘सभी हिन्दू सहोदर हैं’ शीर्षक से हिन्दी में जारी की है. यह पुस्तक संघ के मध्य भारत प्रांत (भोपाल, ग्वालियर, नर्मदापुरम राजस्व संभाग) में प्रसारित की जा रही है. मध्य भारत प्रांत संघ के मध्य क्षेत्र (मप्र और छत्तीसगढ़) का एक हिस्सा है.
बिहार चुनाव में भाजपा की हार के बाद, पार्टी के सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण नीति की समीक्षा करने के आवश्यकता के सुझाव को ‘गलत समय’ पर दिया गया बयान बताया था और कहा था कि इससे पिछड़ी जाति और दलित लोग भाजपा से नाराज हो गये.
यादव ने कहा था कि पार्टी को इस पर विश्लेषण करना चाहिये कि बिहार के चुनाव में क्यों पिछडी जातियों ने महागठबंधन के पक्ष में मजबूती से वोट दिया.पूर्व केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने के बावजूद भी कोई असर नहीं हुआ और लोगों ने यह विश्वास कर लिया कि आरएसएस जो भी कहता है, सरकार उसका पालन करती है. भागवत जी ने आरक्षण समाप्त करने की नहीं बल्कि उसकी समीक्षा करने के बात कही थी. लेकिन पिछडों का कहना है कि इसकी समीक्षा की भी क्या आवश्यकता है.