आरुषि के मां-बाप उसके हत्यारे, कोर्ट ने दी उम्रकैद

गाजियाबाद : बेटीआरुषिके हत्यारे माता-पिता राजेश तलवार व नुपूर तलवार को मंगलवार को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनायी है. कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट केस मानने से इनकार कर दिया है.सीबीआई ने दंत चिकित्सक दंपती राजेश और नूपुर तलवार को मौत की सजा देने की मांग की. अदालत ने सोमवार को ही इन दोनों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2013 5:52 AM

गाजियाबाद : बेटीआरुषिके हत्यारे माता-पिता राजेश तलवार व नुपूर तलवार को मंगलवार को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनायी है. कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट केस मानने से इनकार कर दिया है.सीबीआई ने दंत चिकित्सक दंपती राजेश और नूपुर तलवार को मौत की सजा देने की मांग की. अदालत ने सोमवार को ही इन दोनों को करीब साढ़े पांच साल पहले अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराया था.

बचाव पक्ष के वकील सत्यकेतु सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि सीबीआई के वकील आर के सैनी ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल की अदालत में दलीलें पेश करते हुए इस मामले को नृशंस हत्या बताया और कहा कि यह दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में आता है.सैनी ने तलवार दंपती को अधिकतम सजा देने की मांग की.

बचाव पक्ष के वकील तनवीर मीर ने सीबीआई की दलीलों का विरोध किया और कहा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ साक्ष्य कमजोर हैं. उन्होंने तलवार दंपति के साथ नरमी बरते जाने का अनुरोध किया.राजेश और नूपुर तलवार को उनकी 14 साल की पुत्री आरुषि और हेमराज की हत्या के सनसनीखेज मामले में अदालत ने कल दोषी ठहराया था.

इस मामले की जांच पहले स्थानीय पुलिस और बाद में सीबीआई ने की तथा जांच के दौरान इसमें कई नाटकीय मोड़ आये. मामले में बहस आज दोपहर बाद पूरी हो गयी.न्यायाधीश श्याम लाल ने 15 महीने की सुनवाई के बाद तलवार दंपती को उनके नोएडा स्थित आवास में 15-16 मई 2008 की रात हत्या में सबूत मिटाने का दोषी ठहराया. कक्षा नौ की छात्रा आरुषि का जन्मदिन कुछ दिन बाद ही था.

पिता को घटना के बारे में नोएडा पुलिस स्टेशन में गलत सूचना देने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 203 के तहत भी दोषी ठहराया गया.दोहरे हत्याकांड के पांच साल बाद दंत चिकित्सक दंपती राजेश और नूपुर तलवार को अपनी 14 वर्षीय बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की नोएडा में अपने घर में हत्या करने का दोषी ठहराया गया.

अनेक नाटकीय घटनाक्रमों वाले मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल ने दोनों को 15 और 16 मई 2008 की दरम्यानी रात को हत्या के सबूतों को नष्ट करने का भी दोषी ठहराया गया. नौवीं कक्षा की छात्रा आरुषि की हत्या उसके जन्मदिन से कुछ दिन पहले की गयी थी.

नूपुर तलवार की बहन ने कहा: हम हार नहीं मानेंगे

राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 के तहत नोएडा पुलिस के समक्ष घटना के बारे में गलत सूचना देने का भी दोषी ठहराया गया.आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने यहां अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने आरुषि की हत्‍या के लिए उसके माता-पिता को दोषी ठहराया है,

सुबह से दो स्थगनादेशों के बाद न्यायाधीश कड़ी सुरक्षा वाले अदालत कक्ष में अपराह्न तीन बजकर 25 मिनट पर आए और दोनों आरोपियों को तलब किया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल इस महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

उन्होंने अपने आदेश के प्रमुख हिस्से को सुनाया. उसमें उन्होंने तलवार दंपति को हत्या और सबूतों को नष्ट करने और किसी कृत्य को करने के लिए साझा मंशा को अंजाम देने (आईपीसी की धारा 34) के तहत दोषी ठहराया.अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के मामले में दोषी नूपुर तलवार ने कल शाम अपने पति राजेश के साथ डासना जेल लाये जाने के बाद उच्च रक्तचाप और बेचैनी की शिकायत की.

डासना जेल के जेलर वीरेशराज शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, उन्होंने कल रात साढे नौ बजे शिकायत की कि वह बेचैनी महसूस कर रही है. फौरन एक डॉक्टर को जांच के लिए भेजा गया और पता चला कि वह उच्च रक्तचाप, एसिडिटी और बेचैनी का सामना कर रही हैं. उन्हें दवाइयां दी गयी.

उन्होंने कहा, डॉक्टरों ने नूपुर को आराम की सलाह दी और उनके ठीक होने के बाद ही हम उन्हें अदालत भेज सकते हैं. सीबीआई अदालत द्वारा कल घोषणा सुनाये जाने के बाद दंतचिकित्सक दंपति को हिरासत में ले लिया गया था और यहां पर लाया गया. दोनों को अलग-अलग प्रकोष्ठ में रखा गया है.

जेल अधिकारियों के मुताबिक, डासना जेल पहुंचने के बाद राजेश और नूपुर दोनों रो रहे थे और उन्होंने भोजन नहीं किया.एक अधिकारी ने कहा, हमने उनसे बातचीत करने की कोशिश की लेकिन राजेश और नूपुर लगातार रोते रहे.

राजेश तलवार ने जांचकर्ताओं को भ्रमित किया : सीबीआई

49 वर्षीय राजेश तलवार को गलत प्राथमिकी दर्ज कराने के आरोप में भी दोषी ठहराया गया. नूपुर अपने पति से एक साल छोटी हैं. अदालत के फैसला सुनाते ही तलवारदंपतीको गिरफ्तार करके डासना जेल भेज दिया गया. सजा के बारे में दलीलों पर सुनवाई कल होगी. उसके बाद न्यायाधीश दोनों को सजा सुनाएंगे.

फैसला सुनाए जाने के बाद तलवारदंपतीरो पड़े. फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद तलवारदंपतीकी तरफ से एक वक्तव्य वितरित किया गया जिसमें कहा गया, हम उस अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने को लेकर बेहद निराश, आहत और व्यथित हैं जो हमने नहीं किया है. हम हार मानने से इंकार करते हैं और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे. बचाव पक्ष के वकील सत्यकेतू सिंह ने कहा कि फैसला कानूनन गलत है और इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की जाएगी.

घरेलू नौकरों में से एक के वकील फकीर चंद शर्मा ने कहा कि वह आज के फैसले से दोषमुक्त महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, मैं घरेलू नौकरों के खिलाफ आरोपों का पुरजोर विरोध कर रहा था क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं थे. ऐसी रिपोर्ट के बाद दोहरे हत्याकांड में सनसनीखेज सुर्खियां बनीं कि यह माता-पिता द्वारा झूठी शान की खातिर हत्या का मामला था जिसे उन्होंने अपनी बेटी का 45 वर्षीय हेमराज के साथ नाजायज संबंध होने के संदेह में अंजाम दिया.

राजेश को नोएडा पुलिस ने तब गिरफ्तार किया था जब तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक गुरदर्शन सिंह ने आरोप लगाया कि पिता ने ही अपनी बेटी की हत्या की थी. बाद में मामला सीबीआई को सौंपे जाने के बाद राजेश तलवार जमानत पर रिहा होकर बाहर आ गए थे.गाजियाबाद के पुलिस अधीक्षक (शहर) मुनिराज ने बताया कि विशेष सीबीआई अदालत परिसर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. उन्होंने कहा, अदालत के बाहर तीन डीएसपी, तीन थाना प्रभारी, 90 कांस्टेबल और पीएसी की एक प्लाटून तैनात की गयी है.

विशेष न्यायाधीश एस लाल दंत चिकित्सक दंपती राजेश और नूपुर तलवार के 15 महीने तक चले मुकदमे के बाद अपना फैसला सुनाया. उन पर उनकी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या और सबूत मिटाने के आरोपों में मुकदमा चल रहा था. आरुषि और हेमराज की डॉक्टर दंपती के नोएडा में जलवायु विहार स्थित घर में 15-16 मई 2008 की रात हत्या हो गई थी.

उत्तर प्रदेश पुलिस और सीबीआई की अलग अलग तर्कों के साथ इस मामले में कई उतार चढ़ाव आये. शुरुआत में शक की सूई राजेश तलवार पर उसके बाद उनके मित्रों के घरेलू सहायकों पर फिर राजेश और उनकी पत्नी पर गई. यह मामला हमेशा से ही मीडिया में छाया रहा. अगस्त 2009 में उच्चतम न्यायालय ने मीडिया पर सनसनीखेज रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी. तलवार दम्पति ने सीबीआई पर आरोप लगाया था जांच को मोड़ने और कथित रुप से कई चीजों को लीक करके उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया.

सीबीआईकेतत्कालीननिदेशकअश्विनीकुमारनइसनिष्कर्षोकोखारिजकरदियाऔरअरुणकुमारकीदलीलोंमेंखामियांरेखांकितकी. दल ने करीब एक वर्ष की गहन जांच के बाद सहायकों को शक से मुक्त कर दिया और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर राजेश तलवार की भूमिका का संकेत दिया. दल ने 29 दिसम्बर 2010 को मामले में ‘‘अपर्याप्त सबूत’’ का हवाला देते हुए मामले को बंद करने की रिपोर्ट दायर की जिसे जिला मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह ने खारिज कर दिया. उन्होंने आदेश दिया कि इसमें तलवार दम्पति के खिलाफ मामला चलाया जाना चाहिए.

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसे मामले में जिसमें घटना घर के भीतर हुई, दिखायी देने वाले सबूतों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.’’तलवार दम्पति उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय गए जिसने निचली अदालत के सम्मन और उनके खिलाफ शुरु की गई सुनवायी को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी. दम्पति ने उसके बाद उच्चतम न्यायालय दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली.

हत्या मामले में सुनवायी 11 जून 2012 को शुरु हुर्द. सुनवायी डेढ़ वर्ष तक चली जिस दौरान सीबीआई के कानूनी सलाहकार आर के सैनी ने अपने के समर्थन में 39 गवाह जबकि बचाव पक्ष ने सात गवाह पेश किये.

25 जनवरी 2011 को गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक ने राजेश तलवार पर धारधार हथियार से हमला किया.

अभियोजन ने अपनी अंतिम दलीलें 10 अक्तूबर को शुरु की जबकि बचाव पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलें 24 अक्तूबर को शुरु करके उसे 12 नवम्बर को पूरा कर लिया.

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