दिल्ली गैंगरेप के तीन वर्ष

नयी दिल्ली : आज 16 दिसंबर है, वर्ष 2015 का एक आम दिन. लेकिन क्या यह सचमुच एक आम दिन है. नहीं! कम से कम एक इंसान, इस दिन की दरिंदगी को नहीं भूल सकता. जी हां, हम बात कर रहे हैं, उस हादसे की जो आज से तीन साल पहले दिल्ली में घटी. 16 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2015 10:40 AM

नयी दिल्ली : आज 16 दिसंबर है, वर्ष 2015 का एक आम दिन. लेकिन क्या यह सचमुच एक आम दिन है. नहीं! कम से कम एक इंसान, इस दिन की दरिंदगी को नहीं भूल सकता. जी हां, हम बात कर रहे हैं, उस हादसे की जो आज से तीन साल पहले दिल्ली में घटी. 16 दिसंबर 2012 की वह भयावह रात जब एक हंसती-खिलखिलाती लड़की को छह हैवानों ने ना सिर्फ अपनी हवस का शिकार बनाया, बल्कि उसके साथ इस कदर हैवानियत की थी, कि उसे बचाया नहीं जा सका.

आज भी बेटी के दुख को नहीं भूल सका है परिवार
निर्भया का परिवार तीन साल बीत जाने के बाद भी अपने दुख को भूल नहीं सका है. हालांकि वे अपने जीवन को सामान्य तरीके से जीने की कोशिश कर रहे हैं. बीबीसी से बात करते हुए उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि बिटिया की याद मिटती नहीं. भाइयों को बहन का प्यार याद आता है, तो मां-बाप को बेटी का लाड़. मां को दुख इस बात का है कि बेटी के साथ हैवानियत करने वाले एक लड़के को सिर्फ इसलिए छोड़े जाने की बात हो रही है कि वह नाबालिग है. जबकि उसे छोड़ा नहीं जाना चाहिए. उसे छोड़े जाने से समाज में गलत संदेश जायेगा. लड़कियां सुरक्षित नहीं रहेंगी.
क्या गैंगरेप के दोषी नाबालिग की रिहाई होनी चाहिए
निर्भया के दोषियों में से एक नाबालिग था. जिसे कोर्ट ने रेप और हत्या का दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनायी थी. उसे कम सजा इसलिए हुई क्योंकि वह नाबालिग था. अब उसकी सजा समाप्त हो गयी है और उसकी रिहाई का वक्त आ गया है. हालांकि उसकी रिहाई का विरोध हो रहा है. निर्भया के माता-पिता भी उसकी रिहाई का विरोध कर रहे हैं.दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को 16 दिसंबर गैंगरेप के जुवेनाइल दोषी की रिहाई के खिलाफ दायर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका की पर फैसला सुरक्षित रखा. नाबालिग की रिहाई का इसलिए विरोध हो रहा है क्योंकि लोगों को ऐसा लगता है कि वह सुधरा नहीं है और उसपर निगरानी की जरूरत है. अगर उसे छोड़ दिया गया, तो यह समाज के लिए घातक होगा. वह कहीं और जाकर दिल्ली गैंगरेप जैसी घटना को अंजाम ना दे, इसके लिए यह जरूरी है कि उसपर अंकुश लगाया जाये.
आज जबकि दिल्ली गैंगरेप को तीन वर्ष हो गये हैं, इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि निर्भया का कोई भी दोषी अपराध की सजा काटे बिना आजाद ना हो. उसे अपनी गलती का अहसास तो होना ही चाहिए, साथ ही यह भी जरूरी है कि वह आगे वैसी किसी घटना को अंजाम ना दे.

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