नयी दिल्ली : रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि यदि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव स्वीकार करे तो भारत विश्व निकाय के झंडे तले आतंकी संगठन आईएसआईएएस के खिलाफ अभियान में शामिल हो सकता है. वाशिंगटन में अपने अमेरिकी समकक्ष एश्टन कार्टर के साथ एक महत्वपूर्ण मुलाकात के बाद लौटे पर्रिकर ने यह भी कहा कि आईएसआईएस के बारे में भारत खुफिया सूचनाएं साझा कर रहा है और इस काम को मजबूत किया जाएगा.
विजय दिवस के अवसर पर अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पर्रिकर ने यहां इंडिया गेट पर संवाददाताओं से कहा कि हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव और संयुक्त राष्ट्र का ध्वज और संयुक्त राष्ट्र का मिशन हो तो तब संयुक्त राष्ट्र के ध्वज तले काम करने की भारत की नीति के अनुरुप हम कार्रवाई में शामिल होंगे. वह आईएसआईएस के खिलाफ अभियान में भारत के शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे. खास तौर पर यह पूछे जाने पर कि क्या भारत संयुक्त राष्ट्र के ध्वज तले आईएसआईएस के खिलाफ अभियान में शामिल होगा तो उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव स्वीकार करता है या नहीं.
इस माह की शुरुआत में भारत ने विश्व की बडी अर्थव्यवस्थाओं के साथ पेरिस में आयोजित अब तक की पहली वैश्विक बैठक में भाग लिया था, जिसका उद्देश्य इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह के गुप्त एवं प्रमुख तौर पर अज्ञात आतंकी वित्तीय तंत्र को नष्ट करने के बारे में चर्चा करना और इसके लिए तरीके अख्तियार करना था. भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान का कहना है कि लगभग 20 भारतीय इस समय इराक-सीरिया में आईएसआईएस की ओर से लड़ रहे हैं. इनमें दो युवक मुंबई के बाहरी इलाके में स्थित कल्याण के हैं, एक ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला कश्मीरी व्यक्ति है, एक युवक तेलंगाना से है, एक कर्नाटक से है , एक ओमान निवासी भारतीय है और एक अन्य व्यक्ति सिंगापुर निवासी भारतीय है.
पिछले साल, कल्याण का एक युवक लगभग छह माह तक आईएसआईएस के साथ बिताने के बाद घर लौट आया था। उसे मुंबई पहुंचने पर गिरफ्तार कर लिया गया था.
आईएसआईएस के साथ मिलकर लड़ने वाले और मारे गए छह भारतीयों में तीन लोग इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी थे जिनमें सुल्तान अजमेर सिंह और बडा साजिद पाकिस्तान में रहने के दौरान इससे जुड़े थे. दो लोग महाराष्ट्र से थे और एक तेलंगाना से था. बीते 15 सितंबर को संयुक्त अरब अमीरात ने चार संदिग्ध भारतीयों को आईएसआईएस के साथ संपर्कों के संदेह में निर्वासित कर दिया था.
संयुक्त अरब अमीरात ने सितंबर में 37 साल की एक महिला को भी वापस भेज दिया था. अफ्शा जाबीन उर्फ निकी जोसेफ नामक यह महिला कथित तौर पर आईएसआईएस के लिए युवाओं की भर्ती में संलिप्त थी. जनवरी में हैदराबाद के सलमान मोहिउद्दीन को हैदराबाद हवाईअड्डे पर उस समय गिरफ्तार किया गया, जब तुर्की के रास्ते सीरिया जाने के लिए दुबई जाने वाले विमान में सवार होने वाला था. अब तक 17 युवाओं को स्पष्ट तौर पर आईएसआईएस से जुडने के लिए सीरिया जाने से रोका जा चुका है. इनमें से अधिकतर युवा तेलंगाना से थे.