तलवार दंपती को दोषी ठहराने में सुप्रीम कोर्ट के फैसले बने आधार
गाजियाबाद : आरुषि हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपती को दोषी ठहराने के लिए जिन परिस्थितिजन्य सबूतों को आधार बनाया गया वे कुछ उसी प्रकार के थे जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने 17 अन्य मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए किया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल ने नतीजे पर पहुंचने के लिए उच्चतम […]
गाजियाबाद : आरुषि हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपती को दोषी ठहराने के लिए जिन परिस्थितिजन्य सबूतों को आधार बनाया गया वे कुछ उसी प्रकार के थे जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने 17 अन्य मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए किया था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल ने नतीजे पर पहुंचने के लिए उच्चतम न्यायालय के फैसलों का अनुसरण किया जो कहते हैं कि किसी भी मकसद की गैर मौजूदगी में परिस्थितिजन्य सबूत आरोपी का दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं.
जज ने अपने आदेश में कहा, घर में रहने वाले लोग केवल चुप्पी साध कर और यह मानकर नहीं बच सकते कि अपने मामले को साबित करने का बोझ पूरी तरह अभियोजन पक्ष पर है और कोई जवाब देने की आरोपी की कोई जिम्मेदारी नहीं है.
उन्होंने कहा, यह सामान्य समझ की बात है कि कई हत्याओं को किसी ज्ञात या खास वजह के बिना अंजाम दिया गया. केवल मात्र यह तथ्य कि अभियोजन पक्ष आरोपी की मानसिक दशा को सबूत में बदलने में नाकाम रहा है , इसका यह मतलब नहीं कि हमलावर के दिमाग में ऐसी कोई स्थिति नहीं थी.
न्यायाधीश ने विवेक कालरा बनाम राजस्थान सरकार मामले के हालिया फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था, ऐसा देखा गया है कि जहां अन्य परिस्थितियों की कड़ियां बिना किसी संदेह के यह साबित करती हैं कि यह केवल और केवल आरोपी है जिसने अपराध को अंजाम दिया है. यह किसी मकसद की अनुपस्थिति के नही हो सकता कि आरोपी ने अपराध को अंजाम दिया हो.
जज ने उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा, यह माना गया है कि जहां अन्य परिस्थितियां केवल इस कल्पना पर पहुंचती हैं कि आरोपी ने अपराध को अंजाम दिया, अदालत केवल इसलिए आरोपी को बरी नही कर सकती कि अपराध का मकसद साबित नहीं किया जा सका है.