मदर टेरेसा बनी संत, सितंबर 2016 में दी जाएगी उपाधि

कोलकाता : कोलकाता की सडकों पर गरीबों और बीमारों की सेवा में 45 साल बिताने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दी जाएगी. पोप फ्रांसिस ने यह उपाधि देने के लिए टेरेसा के दूसरे चिकित्सकीय चमत्कार को मान्यता दे दी है. मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2015 10:08 AM

कोलकाता : कोलकाता की सडकों पर गरीबों और बीमारों की सेवा में 45 साल बिताने वाली नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च के संत की उपाधि दी जाएगी. पोप फ्रांसिस ने यह उपाधि देने के लिए टेरेसा के दूसरे चिकित्सकीय चमत्कार को मान्यता दे दी है.

मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार ने कहा, ‘‘हमें अब वेटिकन से आधिकारिक पुष्टि मिल गई है कि चर्च द्वारा दूसरे चमत्कार की पुष्टि की गई है और मदर को संत की उपाधि दी जाएगी. हमें इसे लेकर बहुत उत्साहित और खुश हैं.” ‘‘गटरों की संत” के नाम से चर्चित नन को सितंबर की शुरुआत में उपाधि दिये जाने की संभावना है.

टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी और कोलकाता में गरीबों, रोगियों तथा अनाथों की सेवा में 45 साल गुजारे. मदर टेरेसा का 87 साल की उम्र में 1997 में कोलकाता में निधन हो गया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा दिये जाने के वेटिकन के निर्णय पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी को बधाई दी.

ममता ने एक बयान में कहा, ‘‘अभी यह अच्छा समाचार सुना कि मदर टेरेसा को 2016 में संत का दर्जा दिया जाएगा. इस खुशी के मौके पर मिशनरीज आफ चैरिटी को शुभकामनाएं.” कैथोलिक समाचार पत्र ‘अवेनिरे’ के अनुसार, मदर टेरेसा को पोप के ‘जुबली ईयर आफ मर्सी’ के तहत चार सितंबर को रोम में आधिकारिक रुप से उपाधि दी जाने की संभावना है. उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था.

वर्ष 2003 में तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय ने करीब तीन लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति में एक समारोह में तेज प्रक्रिया के तहत टेरेसा को ‘बेटिफाइड’ (धन्य घोषित) किया गया था. ‘बीटीफिकेशन’ संत की उपाधि की तरफ पहला कदम होता है.

वर्ष 2002 में वेटिकन ने आधिकारिक रुप से एक चमत्कार को स्वीकार किया था जिसके बारे में कहा जाता है कि टेरेसा ने अपने निधन के बाद यह चमत्कार किया. 1998 की इस घटना में पेट के ट्यूमर से पीडित एक बंगाली आदिवासी महिला मोनिका बेसरा ठीक हो गई थी. पारंपरिक रुप से संत की उपाधि की प्रक्रिया के लिए कम से कम दो चमत्कारों की जरुरत होती है.

टेरेसा के साथ काम कर चुकीं सुनीता ने कहा, ‘‘पहला (चमत्कार) कई साल पहले कोलकाता में हुआ था. अब का मामला ब्राजील का है जहां उनकी (टेरेसा की) पूर्व की प्रार्थनाओं के परिणामस्वरुप एक व्यक्ति चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया है.”

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