Loading election data...

फिक्की की 88वीं सालाना बैठक में जेटली ने बतायी जीएसटी में देरी की वजह

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के संसद के चालू सत्र में पारित नहीं होने की संभावना की ओर संकेत करते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज कहा कि विधेयक में देरी दूसरे कारणों की वजह से कराई जा रही है. मंत्री ने हालांकि, कहा कि सरकार बुधवार को समाप्त हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2015 3:13 PM

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के संसद के चालू सत्र में पारित नहीं होने की संभावना की ओर संकेत करते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज कहा कि विधेयक में देरी दूसरे कारणों की वजह से कराई जा रही है. मंत्री ने हालांकि, कहा कि सरकार बुधवार को समाप्त हो रहे शीतकालीन सत्र के आखिरी तीन दिन में राज्य सभा में सुधार संबंधी अन्य विधेयकों को आगे बढाएगी.इन विधेयकों में मध्यस्थता एवं आपसी सहमति अधिनियम में संशोधन शामिल है जो वाणिज्यिक अदालतों और दिवालियापन से जुडी संहिता के गठन से जुडा है.

उद्योग मंडल फिक्की की 88वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा ‘‘मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटी में देरी पूरी तरह से किसी और वजह से कराई जा रही है. मेरे विचार से यह दूसरी वजह सिर्फ यह है कि यदि हम नहीं कर सके, तो दूसरे को ऐसा क्यों करना चाहिए?’ जेटली ने कहा कि राजनीति देश के व्यापक हित के आड़े नहीं आनी चाहिए. सरकार के लिए कांग्रेस पार्टी की इस मांग को मानना संभव नहीं होगा कि जीएसटी शुल्क दर का प्रावधान संविधान में ही किया जाए.उन्होंने कहा ‘‘देर से आया जीएसटी, दोषपूर्ण जीएसटी के मुकाबले बेहतर होगा .’ जीएसटी विधेयक राज्य सभा में अटका है जहां सत्तारुढ राजग सरकार के पास बहुमत नहीं है और कांग्रेस पार्टी इसका जोरदार ढंग से विरोध कर रही है.
सरकार ने एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने की योजना बनाई थी. इस विधेयक को स्वतंत्रता के बाद से अब तक अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सुधारों का सबसे बडी पहला माना जा रहा है और शीतकालीन सत्र के बाकी बचे तीन दिनों में इसके पारित होने की संभावना नहीं लगती.लोकसभा ने वाणिज्यिक अदालतें, उच्च न्यायालयों में वाणिज्यिक प्रभाग एवं वाणिज्यिक अपीलीय प्रभाग विधेयक और मध्यस्थता एवं सुलह-सफाई (संशोधन विधेयक) को पारित कर दिया है.
इन विधेयकों को राज्य सभा में अगले सप्ताह आगे बढाया जा सकता है. जेटली ने इस बात पर अफसोस जताया कि लोगों को भारत को आर्थिक नरमी के दौर में देखने में पर पीडा का सुख मिलता है. उन्होंने कहा ‘‘लेकिन इस पर पीडा के सुख के लिए देश को बडी कीमत चुकानी पड रही है. हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते.’ उन्होंने कहा ‘‘यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि जीएसटी अच्छा है और हम जीएसटी प्रस्ताव लेकर आयें हैं, लेकिन मुझे लगता है कि जहां तक भारतीय राजनीति का सवाल है यह ‘लेकिन’ बड़ा खतरनाक मुहावरा है.’ फिलहाल सबसे बडी चुनौती है, वैश्विक नरमी के बीच भारतीय राजनीति आर्थिक सुधार का समर्थन करे. कोशिय यह होनी चाहिए कि वृद्धि के आडे आने वाली राजनीतिक बाधाओं पर विजय पाएं.
जेटली ने कहा ‘‘मौजूदा विपरीत वैश्विक परिस्थितियों में क्या भारतीय राजनीति सकल घरेलू उत्पाद में एक या दो प्रतिशत जोडने में मदद करने वाली है या फिर बाधा खडी करने वाली होगी?’ मंत्री ने कहा कि वह अभी भी विपक्ष से अपील करेंगे कि जीएसटी विधेयक में शुल्क दर को संविधान में लिखे जाने की अपनी जिद छोड दें.
उन्होंने कहा कि ‘‘संविधान में शुल्क का उल्लेख, दरअसल, भावी पीढी की गर्दन पर बोझ होगा और हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसी स्थिति पैदा न करें.’ जेटली ने कहा, ‘‘हमारे पास संसद में तीन दिन बचे हैं. ये बेहद महत्वपूर्ण हैं और मैं इनमें से कुछ सुधारों को आगे बढाने की कोशिश करुंगा.’ उन्होंने कहा, ‘‘ये महत्वपूर्ण सुधार हैं जिसकी हम कोशिश करेंगे और मुझे उम्मीद है कि कोई भी फिर से ‘लेकिन’ शब्द के जरिए देश के हित को प्रभावित नहीं करेगा.’ मध्यस्थता एवं सहमति विधेयक जिसे मंजूरी के लिए राज्य सभा में भेजा जाना है, का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘कारोबार सुगमता के लिहाज से विवाद निर्णय एवं मध्यस्थता के केंद्र के तौर पर भारत की पहचान करीब करीब खत्म हो चुकी है और हमें इस पहचान को फिर से कायम करना है.’
उन्होंने कहा ‘‘मध्यस्थता अधिनियम जिसके तहत एकल सदस्य वाली तीव्र प्रणाली और छह महीने के भीतर न्याय-प्रक्रिया पूरी करने का प्रावधान है, को लोकसभा में पारित किया गया जा चुका है और यह बाकी बचे तीन दिनों में संसद में आएगा.’ वाणिज्यिक विवाद समाधान विधेयक के संबंध में उन्होंने कहा कि इसके तहत ऐसे विवादों के तेजी से समधान का प्रावधान होगा जो अदालत में बरसों और दशकों से लंबित है.
जेटली ने कहा कि वह संसद में मौजूद सत्र के बाकी बचे तीन दिनों में दिवालियापन से जुडे कानूनों को आगे बढाएंगे. उन्होंने कहा कि जिंसों के दाम कम रहना ऐसा दौर है जो भारत के लिए आम तौर पर अनुकूल है और यह जितना लंबा खिंचता है उतना बेहतर होगा. भारत तेल का बडा आयातक है, इसलिए कच्चे तेल में नरमी से देश की वित्तीय स्थिति में मदद मिलती है.
जेटली ने कहा, ‘‘हमारा आयात बिल कम हुआ है. धन का बडा हिस्सा जो हमने अर्जित किया उसका उपयोग दूसरी जगह किया गया.’ उन्होंने कहा कि तेल कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई करने में कामयाब रहीं. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, इसी वजह से वैश्विक नरमी की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारे वित्तीय आंकडे इतने अच्छे कभी नहीं रहे

Next Article

Exit mobile version