गणित के नन्हे विश्व चैंपियन आदित्य की पीएम से मिलने की ख्वाहिश
नयी दिल्ली : विश्व स्तरीय एक गणितीय प्रतियोगिता में चैंपियनों के चैंपियन बनने वाले भरतपुर के आदित्य सिंह गुर्जर की ख्वाहिश है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलें. हाल ही में दिल्ली में संपन्न हुई यूसीमास की 14वीं भारतीय राष्ट्रीय एवं 20वीं ‘अबाकस एंड मेंटल अरिथमेटिक प्रतियोगिता 2015′ में नौ वर्षीय गुर्जर ने ‘चैंपियन […]
नयी दिल्ली : विश्व स्तरीय एक गणितीय प्रतियोगिता में चैंपियनों के चैंपियन बनने वाले भरतपुर के आदित्य सिंह गुर्जर की ख्वाहिश है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलें. हाल ही में दिल्ली में संपन्न हुई यूसीमास की 14वीं भारतीय राष्ट्रीय एवं 20वीं ‘अबाकस एंड मेंटल अरिथमेटिक प्रतियोगिता 2015′ में नौ वर्षीय गुर्जर ने ‘चैंपियन ऑफ द चैंपियंस’ का पुरस्कार अपने नाम किया. वह भरतपुर में ही छठी कक्षा के छात्र हैं.
आदित्य ने कहा, ‘‘इतने सारे लोगों के बीच मैं बहुत खुश हूं और मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा है.” आदित्य के पिता गंगा सिंह शारीरिक व्यायाम के शिक्षक हैं और उसकी माता सुमिता गुर्जर राजस्थान रोडवेज में कंडक्टर का काम करती हैं. आदित्य को गणित में रुचि अपनी मां से जागी जो स्वयं गणित में परास्नातक हैं. पिता गंगा ने बताया कि इस प्रतियोगिता को जीतने के बाद नगर के कई गणमान्य लोगों ने उसका सम्मान किया और शिक्षा मंत्री कालीचरण सर्राफ ने उसे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलाने का आश्वासन दिया है लेकिन आदित्य की ख्वाहिश प्रधानमंत्री मोदी से भी मिलने की है.
आदित्य वर्ष 2013 से अबाकस पर गणितीय गणनाओं का अभ्यास कर रहे हैं. इस प्रतियोगिता में 57 देशों के लगभग 11000 बच्चों ने प्रतिभाग किया जिनकी उम्र चार से 15 वर्ष के बीच थी. यूसीमास के एक प्रवक्ता के अनुसार भारत के लगभग 22 राज्यों के 5500 बच्चों ने इसमें प्रतिभाग किया. इस प्रतियोगिता में पहले 36 चैंपियन चुने गए और उसके बाद उनमें से आदित्य को ‘चैंपियन ऑफ द चैंपियन’ चुना गया.
इस प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागियों को उनकी उम्र और स्तर के अनुसार 200 गणितीय गणनाओं का एक प्रश्नपत्र दिया गया जिसे आठ मिनट के भीतर अबाकस की सहायता से हल करना था. आदित्य ने बताया कि उन्होंने पूरे 200 प्रश्न हल किए जिस कारण उन्हें यह पुरस्कार मिला. यूसीमास एक वैश्विक संगठन है जिसका मुख्यालय मलेशिया में है. यह बच्चों के बीच गणितीय रुझान बढाने के लिए कार्य करता है और भारत में इसके लगभग 1500 केंद्र हैं.