नयी दिल्ली :राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 के सामूहिक बलात्कार मामले में दिल्ली महिला आयोग की याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारे हाथ भी बंधे हुए हैं. आरोपी को कानून के आधार पर छोड़ा गया है. हम कानून के बाहर नहीं जा सकते हैं.दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधे घंटे तक याचिका पर सुनवाई की और कहा कि हम आपकी चिंता समझते हैं लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं. कानून के आधार पर आरोपी को छोड़ा गया है.
महिलाओं को कभी नहीं मिलेगाइंसाफ
निर्भया की मां ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद नम आंखों से कहा कि मुझे पता था ऐसा कुछ ही होगा. भारत में कभी कानून नहीं बदलेगा और महिलाओं को कभी इंसाफ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि कानून में बदलाव के लिए मैं और मेरा परिवार पड़ता रहेगा. निर्भया केस से सबक न लेना दुर्भाग्यपूर्ण है.रविवार को भी पीडिता की मां आशा देवी ने सवाल किया कि आखिर सरकार किशोरों से संबंधित कानून को और कितने बलात्कार, और कितनी हत्याओं के बाद बदलेगी. मैं चाहती हूं (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी हमें (एक मुलाकात के लिए) दो मिनट देने पर विचार करें.
जुवेनाइल जस्टिस बिल पर आज राज्यसभा में चर्चा संभव
जघन्य अपराधों में 16 से 18 साल के किशोरों के खिलाफ वयस्क कानूनों के तहत मुकदमा चलाने का प्रावधान करने वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक पर आज दोपहर राज्यसभा में चर्चा हो सकती है. आपको बता दें कि लोकसभा ने इस बिल को मंजूरी दे दी है. सरकार ने इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया है कि उसने यह सुनिश्चित करने के लिए काफी संतुलन कायम किया है कि निर्दोष बच्चों के साथ अन्याय नहीं हो.
कल ही रिहा हो चुका है आरोपी
दोषी किशोर को रविवार को रिहा कर दिया गया और एक एनजीओ भेज दिया गयाहै. आपको बता दें किदिल्ली महिला आयोग की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर शनिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट ने अविलंब सुनवाई से इनकार कर दिया जिसके बाद आरोपी की रिहाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया था हालांकि न्यायमूर्ति ए के गोयल और न्यायमूर्ति यू यू ललित की एक अवकाशकालीन पीठ ने अपना आदेश सुनाया और मामले की अगली सुनवाई सोमवार यानी आज तयकिया था.
दोषी किशोर अब हो गया है 20 वर्ष का
किशोर की रिहाई के खिलाफ पीडिता के अभिभावकों ने प्रदर्शन किया और उन्हें न्याय दिलाने में विफल रहने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार की आलोचना की. सरकारी सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से उसके पुनर्वास की योजना को अंतिम रुप दिये जाने तक वह एक एनजीओ की देखरेख में रहेगा. दोषी किशोर अब 20 वर्ष का हो गया है. किशोर की रिहाई ऐसे समय हुई है जब सामूहिक बलात्कार पीडिता के अभिभावकों ने उसके लिए मौत की सजा की मांग को लेकर रविवार को अपना प्रदर्शन अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ दूसरे दिन भी जारी रखा.
इंडिया गेट के पास प्रदर्शन
पुलिस ने किशोर दोषी की रिहायी के खिलाफ इंडिया गेट के पास प्रदर्शन कर रहे पीडिता के अभिभावक और बडी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. पीडिता की मां ने दावा किया है कि प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद हुई हाथापाई में वह ‘‘घायल’ हुई हैं. पुलिस सूत्रों ने कहा, ‘‘हमने उसे एक एनजीओ के पास छोडा है.’ दोषी किशोर को तब रिहा कर दिया गया जब उच्चतम न्यायालय रिपीट उच्चतम न्यायालय ने शनिवार देर रात दिये एक आदेश में उसकी रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने यह आदेश दिल्ली महिला आयोग की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर दिया.