बेंगलुरु : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि शिक्षा शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की भावना को परवान चढ़ाने और विविधता को स्वीकार करने में मदद कर सकती है और उसका लक्ष्य चरित्र निर्माण होना चाहिए . मुखर्जी ने कहा कि शिक्षा महज किसी छात्र के दिमाग में कुछ सूचना डालना नहीं है. उसका लक्ष्य चरित्र निर्माण होना चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा आस्था बनाने में, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की भावना लाने में , दिमाग को तार्किक बनाने में और वैज्ञानिक सोच बनाने में मदद करती है.
मुखर्जी ने यहां बिशप कॉटन बॉयज स्कूल के अर्ध वार्षिक कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा की यह संस्कृति को, सह अस्तित्व की भावना को और विविधता की स्वीकृति को भी परवान चढ़ाने में मदद करती है. राष्ट्रपति ने कहा कि एक बार शिक्षा के माध्यम से लड़के और लड़कियों के बीच इस तरह के अच्छे मूल्य विकसित होने पर वे अपनी जिंदगी में इस पर अमल करेंगे और अच्छे नागरिक बनेंगे.
मुखर्जी ने शिक्षा के क्षेत्र में सेवा के 150 सफल साल पूरा होने पर स्कूल के संस्थापकों और प्रबंधन को बधाई देते हुए कहा कि स्कूलों को अपने छात्रों में हमारे प्रमुख सभ्यात्मक मूल्य भरने के प्रति प्रतिबद्ध होना चहिए जिनमें मातृभूमि से प्यार शामिल है. उन्होंने इंगित किया कि इस स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वालों में दिवंगत जनरल के.एस. थिमैया शामिल हैं जो 1957 से 1961 तक सेना प्रमुख रहे. परमाणु वैज्ञानिक डा. राजा रमन्ना सरीखी हस्तियां यहां से शिक्षा ग्रहण कर चुकी हैं.