महरौली में पानी की कमी और अन्य सुविधाओं का अभाव है मुख्य मुद्दा
नई दिल्ली : महरौली निर्वाचन क्षेत्र में पानी की किल्लत चुनावी हवा का रख कांग्रेस के विधायक और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री के खिलाफ मोड़ सकती है. महरौली के निवासियों का कहना है कि इस इलाके में पानी की आपूर्ति बेहद अनियमित है और कई बार उन्हें पानी के लिए निजी संस्थाओं द्वारा संचालित […]
नई दिल्ली : महरौली निर्वाचन क्षेत्र में पानी की किल्लत चुनावी हवा का रख कांग्रेस के विधायक और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री के खिलाफ मोड़ सकती है.
महरौली के निवासियों का कहना है कि इस इलाके में पानी की आपूर्ति बेहद अनियमित है और कई बार उन्हें पानी के लिए निजी संस्थाओं द्वारा संचालित पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो कि काफी राशि लेते हैं.हालांकि शास्त्री दावा करते हैं कि पानी की आपूर्ति को सुधारने के लिए पिछले पांच साल में कई कदम उठाए गए हैं लेकिन निवासियों की शिकायत है कि पिछले दो साल में तो स्थिति और भी खराब हुई है.
वार्ड संख्या एक के निवासी विपिन सिंह ने कहा, ‘‘पानी की आपूर्ति के लिए कोई भी तय समय नहीं है. हमें 3 से 5 दिन के अंतर पर पानी मिलता है. बहुत बार हमें निजी टैंकरों को ही बुलाना पड़ता है.’’महरौली रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के सचिव ए. के. वर्मा ने कहा, ‘‘यहां 50 प्रतिशत से ज्यादा पानी के कनेक्शन अनाधिकृत हैं. हम पिछले कई साल से ‘सोनिया विहार’ जल शोधन संयंत्र का इंतजार कर रहे हैं.’’
शास्त्री ने कहा कि चार भूमिगत जलाशय बनाने के लिए 210 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है और यह काम अगले साल अगस्त तक पूरा हो जाएगा.उन्होंने कहा, ‘‘ये जलाशय महरौली के निवासियों को पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त होंगे.’’उन्होंने यह भी कहा कि पांच साल पहले दिल्ली जल बोर्ड यहां के निवासियों को 8 से 10 दिन के अंतर पर पानी उपलब्ध करवाया करता था। इस अंतर को घटाकर 2 से 3 दिन पर लाया गया है.भाजपा ने इस चुनावी क्षेत्र में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को उतारा है. बसपा ने सुरेंद्र पवार को टिकट दिया है.
आम आदमी पार्टी के नरेंद्र सेजवाल ने घर–घर जाकर चुनाव प्रचार किया है. उन्होंने दावा किया कि शहर में ‘बदलाव की हवा’ चल रही है. ऐसा कहते हुए उन्होंने अपनी जीत का विश्वास जताया। चुनावी दौड़ में कुल 8 उम्मीदवार हैं.
इस चुनावी क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 1.44 लाख है. इनमें से 80,791 पुरुष और 63,472 महिलाएं हैं.वर्ष 2008 के चुनावों में शास्त्री के हिस्से 21,740 जबकि भाजपा के शेर सिंह डागर के हिस्से में 20,632 वोट आए थे। शास्त्री सबसे पहले वर्ष 2003 में मालवीय नगर निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे.
भाजपा के उम्मीदवार वर्मा ने कांग्रेस पर कोई कार्य न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि वे खुद सत्ता में आते हैं तो वे इस इलाके में एक प्रभावी जल वितरण व्यवस्था और अन्य मुख्य समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करेंगे.वर्मा ने कहा, ‘‘शास्त्री इस इलाके के लोगों की समस्याएं सुलझाने में सफल नहीं रहे हैं. मुझे यकीन है कि जनता भाजपा के लिए मतदान करेगी।’’ कुछ निवासियों का कहना है कि ‘निष्क्रिय’ सीवर व्यवस्था और अनधिकृत निर्माण कार्य अन्य बड़े मसले हैं.
एक निवासी मुकुल गुप्ता ने कहा, ‘‘इस इलाके में जल निकासी की सही व्यवस्था न होने के कारण स्वास्थ्य के लिए खतरा बना रहता है.’’शास्त्री ने कहा कि नई सीवर व्यवस्था के लिए 90 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मौजूद व्यवस्था 30 साल पुरानी है और इसे बदले जाने की जरुरत है.’’ हालांकि वसंत कुंज और साकेत जैसी कालोनियों में बेहतर अवसंरचनात्मक सुविधाएं हैं लेकिन लाडो सराय, मसूदपुर, किशनगढ़ और राजोकरी जैसे इलाकों में पर्याप्त सुविधाओं की कमी है.
दो ऐलीवेटेड सड़कों की परियोजनाएं भी पारित हो चुकी हैं. एक बस स्टैंड से महरौली–बदरपुर मार्ग तक और दूसरा डीईएसयू मार्ग से वसंतकुंज तक बनाई जा रही है.कई व्यापारी संघों का कहना है कि वे कांग्रेस को समर्थन देना जारी रखेंगे क्योंकि उसने कई सड़क परियोजनाओं की घोषणा की है और जलाशय बनाने के लिए कदम उठाए हैं.
कई झुग्गी बस्तियों के निवासियों को कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है. इनमें से कई लोगों ने कहा कि कि सत्ताधारी पार्टी ने अनाधिकृत कालोनियों को नियमित करने का अपना वादा पूरा नहीं किया.सरकार ने झुग्गी बस्ती के निवासियों के लिए किशनगढ़ में 4200 फ्लैट बनाने की परियोजना हाथ में ली है.इस चुनावी क्षेत्र में भी 4 दिसंबर को होने वाले चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.