राष्ट्रपति से छीन सकता है क्षमा का अधिकार!

नयी दिल्ली: क्या किसी दोषी की सजा को माफ करने या उसे कम करने के राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकार को किसी कानून द्वारा समाप्त किया जा सकता है? उच्चतम न्यायालय नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसिस (एनडीपीएस) कानून की धारा 32ए की वैधता का अध्ययन करते समय इस विषय पर फैसला करेगा. यह कानून कहता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:37 PM

नयी दिल्ली: क्या किसी दोषी की सजा को माफ करने या उसे कम करने के राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकार को किसी कानून द्वारा समाप्त किया जा सकता है? उच्चतम न्यायालय नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसिस (एनडीपीएस) कानून की धारा 32ए की वैधता का अध्ययन करते समय इस विषय पर फैसला करेगा. यह कानून कहता है कि इसके तहत दी गयी सजा में किसी तरह का निलंबन, कमी या तब्दीली की अनुमति नहीं है.

इस मुद्दे के महत्व को देखते हुये न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एफ एम इब्राहिम कलीफुल्ली की पीठ ने मामला एक बड़ी पीठ को भेज दिया है.अदालत ने एनडीपीएस कानून के तहत दोषी ठहराये गये कृष्णन नामक शख्स और अन्य लोगों की दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी दिया. इस अपील में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमें कहा गया था कि उन्हें कानून की धारा 32ए के प्रावधानों के मद्देनजर सजा में कमी का अधिकार नहीं है.

पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि मामले में बड़ी पीठ, या तो पहले तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा या सीधे पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा इस पर विचार करने की जरुरत है. उचित आदेश के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष कागजात प्रस्तुत किये जा सकते हैं.’’ एनडीपीएस कानून की धारा 32ए कहती है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 या अन्य किसी कानून में कुछ समय के लिए कुछ भी प्रावधान हो लेकिन धारा 33 के प्रावधानों के अनुरुप इस कानून के तहत दी गयी कोई भी सजा को निलंबित या कम नहीं किया जाएगा या बदला नहीं जाएगा.

संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 के तहत भारत के राष्ट्रपति और किसी राज्य के राज्यपाल को किसी मामले से जुड़े कानून के तहत किसी अपराध के दोषी व्यक्ति को सुनाई गयी सजा माफ करने, कम करने,निलंबित करने या उसे बदलने का अधिकार है.

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