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वर्ष 2015 में आयकर विभाग ने कर चोरों पर कसी नकेल

नयी दिल्ली : वर्ष 2015 में आयकर विभाग का ज्यादातर समय विदेशी निवेशकों और घरेलू करदाताओं के साथ वाद विवाद में बीता. हालांकि, वर्ष के दौरान समस्या का समाधान ढूंढने के प्रयास भी तेज हुए. नये साल (वर्ष 2016) के दौरान विभाग ने भारी भरकम आयकर कानून को सरल बनाने और कर वसूली के वैर-भाव […]

नयी दिल्ली : वर्ष 2015 में आयकर विभाग का ज्यादातर समय विदेशी निवेशकों और घरेलू करदाताओं के साथ वाद विवाद में बीता. हालांकि, वर्ष के दौरान समस्या का समाधान ढूंढने के प्रयास भी तेज हुए. नये साल (वर्ष 2016) के दौरान विभाग ने भारी भरकम आयकर कानून को सरल बनाने और कर वसूली के वैर-भाव मुक्त प्रभावी प्रणाली तैयार करने का लक्ष्य रखा है. सरकार आसान कर कानून के साथ अपना कर राजस्व ज्यादा से ज्यादा करने की कोशिश कर रही है.

हालांकि, राजस्व लक्ष्य पाने के लिए कर विभाग बड़ी कंपनियों से अतिरिक्त अग्रिम कर की मांग करने या कर रिफंड रोकने का रास्ता नहीं अपनाना चाहता है. विभाग ने कर विवादों को सुलझाने की दिशा में कई पहल की हैं, विदेशी निवेशकों से जुडे ज्यादातर कर विवादों को 2015 में सुलझा लिया गया. हालांकि, राजनीतिक खींचतान के कारण महत्वाकांक्षी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित नहीं हो पाया. कालाधन वापस लाने के भाजपा के मुख्य चुनावी वादे को पूरा करने की कोशिश वर्ष के दौरान की गयी लेकिन आरंभिक प्रतिक्रिया इतनी अच्छी नहीं रही.

कालेधन के बारे में जितनी बड़ी राशि का दावा किया जा रहा था उसके मुकाबले कालाधन जो अब तक सामने आया है वह उम्मीदों के अनुरूप नहीं है. पिछली सरकार से विरासत में मिले कर विवादों का अभी भी हल नहीं हो पाया है. विशेष तौर पर वोडाफोन और केयर्न एनर्जी जैसी बड़ी विदेशी कंपनियों पर पिछली तारीख से कलाधान जैसे मुद्दे अभी भी चल रहे हैं, हालांकि लंबे समय से चल रहे इन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की गयी है. सरकार ने वोडाफोन के साथ 20,000 रुपये करोड रुपये के कर विवाद के मामले में समझौते की प्रक्रिया शुरू की है, जबकि केयर्न ने 10,247 करोड रूपये के कर विवाद में सरकार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में घसीटा है, ताकि मामले में मध्यस्थता हासिल की जा सके. दोनों मामले लंबे समय तक चलेंगे.
कर विभाग ने अपनी ओर से विवादों को कम करने की दिशा में जो बेहतर पहल की उनमें 50,000 से कम के कर रिफंड राशि तुरंत जारी करने और कम कर राशि की अपील वापस लेना शामिल है. अर्थव्यवस्था उम्मीद से कमतर वृद्धि दर्ज कर रही है, ऐसे में कर संग्रह लक्ष्य से चूक जाने की आशंका है. सरकार इस कमी की भरपाई, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढाकर करने का प्रयास कर रही है. प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान के वित्तपोषण के लिए करयोग्य सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लागू किया गया.
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा ‘‘हमें अप्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य पाने का पूरा भरोसा है और हमें उम्मीद है कि प्रत्यक्ष कर लक्ष्य के नजदीक पहुंचने के भी हरसंभव प्रयास किये जायेंगे. लेकिन हम मौजूदा वर्ष में कुछ बड़ी कंपनियों से अनिवार्य तौर पर अतिरिक्त अग्रिम कर भुगतान के निर्देश या रिफंड रोककर लक्ष्य पूरा नहीं करना चाहेंगे.’ अधिया ने नये साल के बारे में कहा कि कर विभाग का जोर बिना वैर-भाव और बिना जोर-जबरदस्ती के प्रभावी कर संग्रह व्यवस्था को अमल में लाना है. अधिया ने कहा ‘‘ये पहलें करदाताओं को कुछ निश्चिंतता तथा संतोष प्रदान करेंगी और इससे कानूनी विवाद कम होंगे. वर्ष 2016 में हमारी कोशिश होगी आयकर कानून को आसान बनाने और रीयल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) और वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के कराधान संबंधी अन्य मुद्दों का समाधान किया जा सके.’
वर्ष 2015 के दौरान कर विभाग के समक्ष जो बडा मुद्दा आया वह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों-विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजीगत लाभ पर एक अप्रैल 2015 से पहले की अवधि के लिएन्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) लगाने का रहा. इसको लेकर काफी विवाद हुआ और शेयर बाजार में इसका बड़ा असर दिखा.
विदेशी निवेशक पिछली अवधि के लिए पूंजीगत लाभ पर कर को लेकर काफी नाराज दिखे और उन्होंने पूंजी बाजार बाजार से धन निकासी की धमकी दी. लेकिन सरकार ने समस्या को सुलझाने के लिएविधि आयोग के अध्यक्ष एपी शाह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. समिति ने विदेशी संस्थागत निवेशकों और पोर्टफोलियो निवेशकों की एक अप्रैल 2015 से पहले की पूंजीगत आय पर मैट नहीं लगाने का सुझाव दिया.
वर्ष के दौरान काला धन वापस लाने की कोशिशें भी तेज हुईं. विदेशों में रखे कालेधन को लाने के लिए एक नया कानून बना. इसमें विदेशों में कालाधन रखने वालों के खिलाफ सख्ती बरतते हुए10 साल तक की सजा और 120 प्रतिशत कर तथा जुर्माने का प्रावधान किया गया. विदेशों में कालाधन रखने वालों को खुद को पाकसाफ करने के लिए 90 दिन की अनुपालन अवधि दी गयी लेकिन इस अनुपालन अवधि में केवल 4,160 करोड रुपये का ही खुलाशा किया गया जिससे 2,500 करोड़ रुपये कर और जुर्माने के रूप में प्राप्त हुए.
अप्रत्यक्ष करों के मामले में सरकार को जीएसटी पारित होने की उम्मीद थी लेकिन संसद के शीतकालीन सत्र में भी यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका. माना जा रहा है कि जीएसटी के अमल में आने से जीडीपी में डेढ से दो प्रतिशत वृद्धि होगी. अप्रैल से नवंबर के दौरान अप्रत्यक्ष कर संग्रह 34.3 प्रतिशत बढकर 4.38 लाख करोड़ रुपये हो गया. इस तरह यह पूरे वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 6.46 लाखकरोड़ रुपयेके स्तर का 68 प्रतिशत है. प्रत्यक्ष कर वसूली 3.69 लाखकरोड़ रुपयेरही जो कि बजट में तय 7.97 लाखकरोड़ रुपयेके लक्ष्य का 46.26 प्रतिशत है.

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