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अब युवाओं में कम है आईएस का प्रभाव : पर्रिकर

बसोहली (जम्मू कश्मीर) : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि केंद्र सरकार ने भारतीय युवाओं में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल की है. भारतीय युवाओं पर आईएस के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा, ‘‘हम संख्या कम करने की कोशिश कर […]

बसोहली (जम्मू कश्मीर) : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि केंद्र सरकार ने भारतीय युवाओं में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल की है.

भारतीय युवाओं पर आईएस के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा, ‘‘हम संख्या कम करने की कोशिश कर रहे हैं और हमें इसमें सफलता मिली है.’ वह कठुआ जिले के बसोहली में रावी नदी पर राज्य के पहले केबल-स्टेड पुल का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुडे संदिग्ध जासूसी मामले में सैन्यकर्मियों के कथित तौर पर शामिल रहने के बारे में पूछे गये सवाल पर मंत्री ने कहा, ‘‘हमें सुरक्षा (खुफिया) कड़ी करनी थी जो हमने पहले ही कर दी है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा और होने वाले रक्षा सौदे की पृष्ठभूमि में पर्रिकर ने कहा कि रुस के साथ भारत का संबंध नया नहीं है.
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम कभी रुस से दूर नहीं रहे. पुराने करारों (रक्षा) पर रूस के साथ हमारे संबंध पहले से ही हैं. नये करार कम जरुर थे लेकिन अब उनकी तरफ ध्यान है.’ पर्रिकर ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पूरी तरह रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के अधीन आ गया है और उसकी क्षमता बढ गयी है.
उन्होंने कहा, ‘‘पहले यह भूतल परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत था लेकिन इस साल से यह पूरी तरह एमओडी के अधीन आ गया है. अब हमें धन मांगने के लिए दूसरे मंत्रालयों में जाने की जरुरत नहीं है.’ पर्रिकर ने कहा, ‘‘यह पहली बीआरओ परियोजना है जो समय से पहले पूरी हो गयी.’ रक्षा मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सडकों और सुरंगों के निर्माण में नई और आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाई जा रहीं हैं जहां 20-25 सुरंग प्रक्रिया में हैं और भद्रवाह सुरंग के लिए भी एक सर्वेक्षण कराया जाएगा.
पर्रिकर ने कहा कि समय की जरूरत है कि सर्दियों में हिमपात से प्रभावित इलाकों में 12 महीने संपर्क मुहैया कराया जाए. उन्होंने कहा कि जनता की मांगों को पूरा करने के अलावा नये मार्ग रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होंगे.पर्रिकर ने कहा, ‘‘ये नये मार्ग सेना के तेजी से प्रवेश में भी मदद कर सकते हैं और इन इलाकों को विकसित करने में मदद कर सकते हैं.’ ‘

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