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गुवाहाटी : उल्फा नेता गोलप बरूआ उर्फ अनूप चेतिया को जमानत

गुवाहाटी : उल्फा महासचिव गोलप बरूआ उर्फ अनूप चेतिया को आज गुवाहाटी सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. पुलिस ने बताया कि चेतिया को चार आखिरी मामलों में जमानत मिल गयी थी. बुधवार को ही यह जमानत चेतिया को मिल गयी थी जिससे रिहाई का रास्ता साफ हो गया था.चेतिया के वकील बी महाजन […]

गुवाहाटी : उल्फा महासचिव गोलप बरूआ उर्फ अनूप चेतिया को आज गुवाहाटी सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. पुलिस ने बताया कि चेतिया को चार आखिरी मामलों में जमानत मिल गयी थी. बुधवार को ही यह जमानत चेतिया को मिल गयी थी जिससे रिहाई का रास्ता साफ हो गया था.चेतिया के वकील बी महाजन ने सीबीआई जांच अधिकारी को यह कहते हुए उद्धृत किया कि अगर चेतिया को जमानत मिलती है तो जांच एजेंसी को कोई आपत्ति नहीं हैं . जमानत मिलने से पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने केस डायरी का भी अवलोकन किया. चेतिया को तीस हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी जमानत राशि पर राहत दी गई.

कौन है चेतिया

सत्तर के दशक के मध्य में उस समय का कोलप बरुआ जो अब अनूप चेतिया के नाम से जाना जाता है. तिनसुकिया कॉलेज में पढ़ता था. चेतिया की दिलचस्पी बचपन से खेलकूद में ज्यादा थी. 1978 की शुरूआत में चेतिया मणिपुर आया और रूरल स्पोर्टस टीम का अधिकारी बनकर जहां उसे फुटब़ॉल में रुची हुई और इसी दौरान वह पीएलए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और यूनाईटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट के लोगों से मिला. उसके बाद उनलोगों के संप्रभुता की लड़ाई चेतिया को पसंद आई और उसने गांव के बचपन के दोस्तों के साथ संगठन बनाया.

पांच साल बाद वह उल्फा को बड़ा करने लगा और परेश बरूआ के संगठन की हथियारबंद इकाई का प्रमुख बना.1991 तक उल्फा के केंद्रीय प्रचार सचिव सुनील नाथ ने सरेंडर करते वक्त कहा कि राजनीतिक शाखा के विस्तार में चेतिया ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई है.नब्बे के दशक में उल्फा के गैरकानूनी संगठन घोषित होने के बाद चेतिया के खिलाफ सैन्य आपरेशन चलाया गया जिसमें वह गिरफ्तार हुआ. चेतिया ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव से भी बातचीत की. बाद में कुछ दिन के लिए लापाता हो गया. काफी समय बाद उसे बांग्ला देश से पकड़ा गया. चेतिया के पास से तीन पासपोर्ट मिले.

1993 में बांग्लादेश में उसने बरूआ के साथ मिलकर कई धंधे भी शुरू किए. जिसमें मीडिया और साफ्ट ड्रिंक का धंधा शामिल है. उसने कई देशों की यात्रा की. 97 में चेतिया के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कार्नर नोटिस जारी किया. तभी से वह बांग्लादेश जेल में था. बाद में वहां की सरकार ने चेतिया को भारत को सौंपा.

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