मिनटों वाला नहीं, घंटों वाला भाषण दें राहुल गांधी : पृथ्वीराज चव्हाण
मुंबई: कांग्रेस हाइकमान के करीबी माने जाने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सार्वजनिक तौर पर ऐसी सलाह दी है, जिसकी चर्चा अक्सर मीडिया व राजनीतिक हलकों में होती है. चव्हाणनेकहा है कि राहुल गांधी को संसदमेंबोलना चाहिए, ताकि लोग जान सकें कि पार्टी के अमुक मुद्दे पर […]
मुंबई: कांग्रेस हाइकमान के करीबी माने जाने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सार्वजनिक तौर पर ऐसी सलाह दी है, जिसकी चर्चा अक्सर मीडिया व राजनीतिक हलकों में होती है. चव्हाणनेकहा है कि राहुल गांधी को संसदमेंबोलना चाहिए, ताकि लोग जान सकें कि पार्टी के अमुक मुद्दे पर स्टैंड का कारण क्या है. ध्यान रहे कि राहुल गांधी पृथ्वीराज को पसंद करते हैं.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावोंमें कांग्रेस की हार के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बहुत तरक्की की है और संसद में भाजपा को पीछे छोड़ने के लिए उन्हें अपनी आक्रामकता बढाने की जरूरत है.
चव्हाण ने कहा कि जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता बढाने के लिए राहुल को संसद में ज्यादा बोलना चाहिए और साथ ही साथ अपनी हाव-भाव पर भी ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘संसद का प्रभावी उपयोग उनकी विश्वसनीयता में इजाफा लाएगा. इसके साथ-साथ उन्हें अपने हाव-भाव पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. इनके जरिए पार्टी के विचार जनता के मन में बैठाए जा सकते हैं.’ पूर्व केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीक मंत्री ने कहा, ‘‘चूंकि दोनों ही सदनों से सीधा प्रसारण किया जाता है, ऐसे में राहुल जी को मुद्दों पर लंबे समय तक बोलना चाहिए. एक पंक्ति में बात कह देना हमेशा कारगर नहीं होता. उन्हें 45 मिनट से एक घंटे तक लगातार बोलना चाहिए.’
चव्हाण ने कहा, ‘‘जब आप सत्तामें नहीं हैं तो आप जनता के लिए कैसे काम कर सकते हैं? आप ऐसा नहीं कर सकते कि प्रधानमंत्री से बात की और उनसे ऐसे फैसले पर दोबारा गौर करने का अनुरोध कर दिया, जो जनता के लिए अच्छा नहीं है. ऐसे मामलों में विपक्षी नेता के पास एकमात्र विकल्प संसद का होता है.’ कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के करीब माने जाने वाले चव्हाण ने कहा कि धीरे-धीरे राहुल को संसद में रखे गए उनके विचारों के लिए जाना जाएगा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कुछ कदमों का विरोध क्यों करती है, जब इसके बारे में विस्तार से बताया जाएगा तो राहुल का जुड़ाव जनता के साथ सीधे तौर पर होगा.
उन्होंने कहा, ‘‘सोनिया जी अपनी रैलियों में दिए जाने वाले भाषणों की तैयारी सतर्कतापूर्वक करना पसंद करती हैं, क्योंकि वह हिंदी में ज्यादा सहज नहीं हैं. वहीं राहुल जी इसे थोड़ा हल्के में लेते हैं क्योंकि उन्हें हिंदी अच्छी तरह आती है. कई बार यह एक खामी साबित होती है और इसे बदला जा सकता है.’ उन्होंने कहा कि लोग अब संसद में सीधे प्रसारित हो रही गंभीर बहसें देखना चाहते हैं और राहुल को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि लोग विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी के रुख के पीछे के कारणों को समझें.