दिल्ली गैंगरेपः अदालत में कहा, पुलिस के रिकार्ड पढ़ने लायक नहीं

नयी दिल्ली: पिछले साल 16 दिसंबर की सामूहिक दुष्कर्म की घटना के चार दोषियों में से दो ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में दावा किया कि फैसले का हिंदी अनुवाद और पुलिस द्वारा दिये गये मुकदमे के अन्य रिकार्ड पढ़े नहीं जा सकते और उन्हें इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में जाने के लिए समय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2013 6:03 PM

नयी दिल्ली: पिछले साल 16 दिसंबर की सामूहिक दुष्कर्म की घटना के चार दोषियों में से दो ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में दावा किया कि फैसले का हिंदी अनुवाद और पुलिस द्वारा दिये गये मुकदमे के अन्य रिकार्ड पढ़े नहीं जा सकते और उन्हें इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में जाने के लिए समय चाहिए.

न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल और न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने दोषियों पवन गुप्ता और मुकेश सिंह को उच्चतम न्यायालय में जाने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया.चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है.

अभियोजन पक्ष ने नवंबर में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर दोषियों को हिंदी अनुवाद की प्रति दी थी. पवन और मुकेश ने उच्च न्यायालय के इनकार के बाद इसके लिए शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी.

हालांकि दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष सरकारी अभियोजक दयान कृष्णन ने बचाव पक्ष के कदम का विरोध करते हुए आज कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के नियम के अनुसार ही मौत की सजा पर सुनवाई दोषियों के हित में दिन-प्रतिदिन के आधार पर होनी चाहिए.’’ कृष्णन ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार हमने (पुलिस ने) प्रत्येक दोषी के लिए बचाव पक्ष के वकील को और तिहाड़ जेल में बंद दोषियों को भी अनुवाद की प्रति सौंपी है.’’ उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने उनसे कहा है कि अगर वे उचित समझते हैं तो आपत्ति दर्ज कराएं.

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