डीडीसीए पर जेटली से माफी मांगें केजरी : भाजपा

नयी दिल्‍ली :भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से डीडीसीए मुद्दे पर अरुण जेटली के खिलाफ आरोप लगाने के लिए ‘‘सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने’ को कहा है. पार्टी ने कहा कि दिल्‍ली सरकार की रिपोर्ट में वित मंत्री के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है. पार्टी प्रवक्ता एम. जे. अकबर ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2015 4:49 PM

नयी दिल्‍ली :भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से डीडीसीए मुद्दे पर अरुण जेटली के खिलाफ आरोप लगाने के लिए ‘‘सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने’ को कहा है. पार्टी ने कहा कि दिल्‍ली सरकार की रिपोर्ट में वित मंत्री के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है.

पार्टी प्रवक्ता एम. जे. अकबर ने कहा कि केजरीवाल ने डीडीसीए की जिस फाइल के बहाने सीबीआई छापेमारी को लेकर जेटली पर निशाना साधा उस फाइल में जेटली का नाम तक नहीं है. अकबर ने कहा, ‘‘जेटली पर किसी भी किस्म की उंगली उठाएंगे तो बहुत बडी गलती होगी क्योंकि सच्चाई उनके साथ है. उन पर जो लोग इल्जाम लगा रहे हैं वे या तो गुमराह कर रहे हैं या फिर झूठ बोल रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘सच्चाई सामने आ गई है. रिपोर्ट में जेटली का नाम नहीं है. उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है, कोई संकेत नहीं है (गलत करने का).

दिल्ली के मुख्यमंत्री को अपने आरोपों को लेकर जेटली से माफी मांगनी चाहिए…उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए.’ उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘उन्हें अदालत में अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए. जहां जेटली ने मुख्यमंत्री और आप के अन्य सदस्यों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है.’ उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के ‘‘षड्यंत्र’ के बाद गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय ने जांच की थी और जेटली के खिलाफ कुछ नहीं पाया था जो डीडीसीए के पूर्व प्रमुख भी हैं जबकि तब ‘‘कांग्रेस की सरकार थी.’

उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने अपने संवाददाता सम्मेलन में जेटली पर यह आरोप लगाते हुए हमला किया था कि सीबीआई ने डीडीसीए फाइल के लिए छापेमारी की थी. अकबर ने कहा, ‘‘अब मुख्यमंत्री खुद ही फंस गए… उनकी अपनी टीम ने जेटली के खिलाफ आरोप नहीं पाया है.’

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 15 नवंबर की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद आप यह कहकर स्थिति से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं कि जांच का मकसद किसी का नाम लेने का नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन रिपोर्ट में नाम है… आप तमाशा कर सरकार नहीं चला सकते.’ विपक्ष ने दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर शीतकालीन सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही बाधित की थी और केजरीवाल ने विवाद को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार प्रहार किया था.

जेटली 2013 तक करीब 13 वर्षों’ तक डीडीसीए के प्रमुख रहे जबकि वह रोजाना के कार्यकलापों में शामिल नहीं रहे थे जैसा कि एसएफआइओ ने पाया और संप्रग शासन में उन्हें क्लीनचिट दी थी. अकबर ने कहा, ‘‘जेटली ने कोई गलती नहीं की. लेकिन मेरा मानना है कि केजरीवाल ने बहुत बड़ी गलती की.’ संवाददाता सम्मेलन में मौजूद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि पार्टी भाजपा और नरेन्द्र मोदी सरकार को इस तरह के आरोप लगाकर नहीं ‘‘डरा’ सकती.

नेशनल हेराल्ड मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पांच हजार करोड़ रुपये के मामले में कांग्रेस जमानत पर चल रही है. वे हमें नहीं डरा सकते क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारा संकल्प काफी मजबूत है.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप दोनों ‘‘मौसेरे भाई’ हैं और साथ मिलकर भाजपा को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे कहता हूं कि एक भी आरोप साबित कर दिखाएं.’ उन्‍होंने दावा किया कि अगर केजरीवाल ने डीडीसीए मुद्दे पर जेटली से माफी मांग ली तो भी मानहानि का केस चलता रहेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘आपने सीबीआई जांच का सामना कर रहे अपने प्रधान सचिव के बचाव में आरोप लगाए. आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाए और अब आप भ्रष्ट का बचाव कर रहे हैं.’श्रीकांत शर्मा ने कहा, डीडीसीए मामले पर केजरीवाल ने गलत नंबर डायल किया है. अब जब सब कुछ साफ हो गया है तो उन्‍हें अब 10 करोड़ देने के लिए तैयार रहना चाहिए.

इधर सतर्कता विभाग के प्रधान सचिव चेतन सांघी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति की 237 रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘डीडीसीए पर बड़ी संख्या में आरोपों’ को देखते हुए बीसीसीआई को इस क्रिकेट संस्था को तुरंत निलंबित कर दिया जाए.
रिपोर्ट में जेटली का उल्लेख किये बिना समिति डीडीसीए में कथित अनियमितताओं के बारे में कई टिप्पणियां की है. इसमें अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना कार्पोरेट बाक्सों का निर्माण तथा आयु पुष्टि प्रमाणपत्र में धोखाधड़ी की शिकायतें शामिल हैं.
समिति ने डीडीसीए के मामलों में कोई भी कार्रवाई नहीं करने के लिए बीसीसीआई को आडे हाथ लिया है. रिपोर्ट में सिफारिश की गयी है दिल्ली सरकार को उच्च न्यायालय की शरण लेकर अनुरोध करना चाहिए कि न्यायमूर्ति लोढा समिति की क्रिकेट प्रशासक के कामकाज को युक्तिसंगत बनाने की सिफारिश को लागू किया जाए.

Next Article

Exit mobile version