एआइपीवीटी-2016 डॉक्टरी का एक और क्षेत्र
जानवरों को दोस्त समझो, उन्हें प्यार करो- यह सलाह वेटेरिनरी डाॅक्टर्स पर सटीक बैठती है. उनकी भाषा समझे बगैर, उन पर प्यार का हाथ फेरने और उनका दर्द समझने की कला के मास्टर होते हैं ये. अगर आपको भी जानवरों से लगाव है, आप उनके दोस्त बनना चाहते हैं, तो एआइपीवीटी 2016 आपका इंतजार कर […]
जानवरों को दोस्त समझो, उन्हें प्यार करो- यह सलाह वेटेरिनरी डाॅक्टर्स पर सटीक बैठती है. उनकी भाषा समझे बगैर, उन पर प्यार का हाथ फेरने और उनका दर्द समझने की कला के मास्टर होते हैं ये. अगर आपको भी जानवरों से लगाव है, आप उनके दोस्त बनना चाहते हैं, तो एआइपीवीटी 2016 आपका इंतजार कर रहा है. आइए जानें इस परीक्षा के बारे में विस्तार से…
सुनीला सिंह का बचपन से ही पालतू जानवरों की ओर विषेश झुकाव था. उनके अभिभावक बताते है िक बचपन में भी वह घर के अलग-बगल की बिल्लियों को अपनी गोद में बिठा कर उन्हें प्यार से सहलाती रहती थीं. यह देख कर वे शुरू में बहुत डरते थे, पर धीरे-धीरे उन्हें भी इसकी आदत सी हो गयी. बेजुबानों के प्रति यह प्यार बेसिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक के सफर में भी बना ही रहा. सुनीला ने कई लोगों से विचार-विमर्श किया.
समझा कि वे कैसे उन्हें अपना साथी बना सकती हैं और उनके दर्द को बांट सकती हैं. तब उन्हें वेटेरिनरी डाॅक्टरी के बारे में पता चला, तो सुनीला ने अपने कदम इस ओर आगे बढ़ा लिये, जो कभी भी पीछे नहीं हटे. आज सुनीला एक सरकारी अस्पताल में सीनियर वेटेरिनरी डाॅक्टर हैं और अपने शौक को कैरियर बना कर ऊंची उड़ान भर रही हैं.
डाॅक्टर का काम सिर्फ इंसानों को ठीक करना ही नहीं होता. हर जीव मात्र की सेवा करना उनके कर्तव्य में शामिल होता है. इसीलिए डाॅक्टर भी कई तरह के होते हैं. एमबीबीएस के बाद एमएस या एमडी डाॅक्टर, बीएचएस डाॅक्टर, बीएएस डाॅक्टर, बीवीएस डाॅक्टर आदि. आज के दौर में जितना एमबीबीएस डाॅक्टर का क्रेज है, उतना ही वेटेरिनरी क्षेत्र की ओर भी रुझान बढ़ रहा है.
वेटेरिनरी डाॅक्टर बनाने की जिम्मेवारी वेटेरिनरी काउंसिल आॅफ इंडिया की है. यह राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रवेश परीक्षा का आयोजन करती है, जिसके माध्यम से देश के विभिन्न वेटेरिनरी काॅलेजों में दाखिला मिलता है. इस परीक्षा का नाम है आॅल इंडिया प्री वेटेरिनरी टेस्ट यानी एआइपीवीटी. इस परीक्षा में सफल होने के बाद विद्यार्थियों को बैचलर आॅफ वेटेरिनरी साइंसेस (बीवीएस) और एनिमल हसबेंडरी (एएच) कोर्सेस में प्रवेश दिया जाता है.
योग्यता जानना है जरूरी
बारहवीं कक्षा पास कर चुके छात्र इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, जिसमें कम-से-कम 50 फीसदी अंक होने अनिवार्य हैं. साथ ही यह परीक्षा साइंस स्ट्रीम में बायोलाॅजी विषय से पास की होनी चाहिए. आवेदकों की उम्र 17 से 25 वर्ष होनी आवश्यक है. इस वर्ष 12वीं की परीक्षा देनेवाले विद्यार्थी भी इसमें शामिल हो सकते हैं.
आवेदन का जानें तरीका
इस परीक्षा का आवेदन पत्र सामान्य वर्ग के आवेदकों को 1500 रुपये में प्राप्त होगा. वहीं आरक्षित वर्ग के आवेदकों को इसके लिए 750 रुपये खर्च करने होंगे. यह राशि डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से ‘वेटेरिनरी काउंसिल आॅफ इंडिया’ के नाम नयी दिल्ली को देय होगी. आवेदन सिर्फ आॅनलाइन माध्यम से किया जायेगा.
परीक्षा पद्धति है साधारण
यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी. इसमें कुल 200 प्रश्न पूछे जायेंगे, जिसके लिए तीन घंटे का समय दिया जायेगा. यह परीक्षा दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक आयोजित की जायेगी. यह एक पेपर-पेन पद्धति वाली परीक्षा है. परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का भी प्रावधान है. पेपर में 60-60 प्रश्न फिजिक्स और केमिस्ट्री एवं 80 प्रश्न बायोलाॅजी से पूछे जायेंगे. यानी एआइपीवीटी परीक्षा में बायोलाॅजी को ज्यादा प्राथमिकता दी जायेगी.
जानें परीक्षा का पाठ्यक्रम
किसी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले उसमें आनेवाले पाठ्यक्रम को समझना जरूरी होता है. एआइपीवीटी का पाठ्यक्रम 11 वीं और 12वीं कक्षा से मिला कर तैयार किया गया है. इसके लिए परीक्षार्थियों को 11वीं और 12वीं कक्षा की फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलाॅजी की एनसीइआरटी किताबों से मदद लेनी चाहिए.
एक्सपर्ट व्यू
एनसीइआरटी किताबों से मिलेगी सफलता
प्रो अरुण तोमर
एचओडी ऑफ केमिस्ट्री नारायण इंस्टीट्यूट
इन दिनों विद्यार्थियों में एआइपीवीटी की ओर काफी रुझान देखा जा रहा है, इसका कारण है कि इसकी मांग बढ़ी है. इस ओर सरकारी नौकरी के भी काफी विकल्प हैं. पिछले वर्ष से सेंट्रल बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसइ) एआइपीवीटी का आयोजन कर रहा है.
इस वर्ष भी यह जिम्मेदारी सीबीएसइ को ही सौंपी गयी है. पिछले वर्ष के पेपर पैटर्न और पाठ्यक्रम पर गौर करें, तो पायेंगे कि पेपर 11वीं और 12वीं स्तर का है और यह पूरी तरह से एनसीइआरटी किताबों पर आधारित है. एआइपीवीटी के पेपर पैटर्न को पिछले वर्ष जैसा ही रखा गया है. कुछ वर्ष पहले तक पेपर का स्तर काफी कमजोर होता था. पर अब ऐसा नहीं है. अब पेपर बहुत कठिन नहीं होता है, पर इसे आसान भी नहीं कहा जायेगा. जब से इसे सीबीएसइ ने आयोजित करना शुरू किया है, तब से इसके स्तर में काफी सुधार आया है.
इसमें बेहतर प्रर्दशन करने के लिए एनसीइआरटी की बायोलाॅजी, फिजिक्स और केमिस्ट्री की किताबों का अच्छे से अध्ययन करें. जिन भी विद्यार्थियों ने इन किताबों का अच्छे से अध्ययन कर लिया, उनका एआइपीवीटी में चयन पक्का माना जाता है. एआइपीवीटी के पेपर में बायोलाॅजी पर ज्यादा फोकस किया जाता है. इसमें 50 प्रतिशत बायोलाॅजी से प्रश्न आते हैं. बाकी 50 फीसदी में 25-25 के औसत से फिजिक्स और केमिस्ट्री से प्रश्न पूछे जाते हैं. बायोलाॅजी में जीवविज्ञान और वनस्पिति विज्ञान पर बराबर जोर दिया जाता है.
अक्सर देखा गया है कि मेडिकल के क्षेत्र की ओर रुख करनेवाले विद्यार्थियों की फिजिक्स कमजोर होती है. अगर विद्यार्थी बायोलाॅजी और केमिस्ट्री में पकड़ मजबूत कर लें और फिजिक्स में 10 से 15 प्रश्न सही कर लें, तो एआइपीवीटी में उनका चयन पक्का होता है. जहां बायोलाॅजी और केमिस्ट्री में बेहतर प्रदर्शन से चयन पक्का माना जाता हैं, वहीं फिजिक्स पर बेहतर पकड़ बनायी जाये, तो एआइपीवीटी में अच्छी रैंक प्राप्त की जा सकती है. इसमें आनेवाले प्रश्न एनसीइआरटी की किताबों से ही होंगे.
उससे बाहर कुछ नहीं.एआइपीवीटी का पेपर अलग नहीं होता है, बल्कि इसका काॅम्पटीशन अलग होता है. यानी जहां पीएमटी में बहुत परीक्षार्थी इसकी परीक्षा देते हैं, वहीं एआइपीवीटी देनेवालों की ंख्या तुलनात्मक दृष्टि से कम होती है. यही कारण हैकि इसमें प्रतियोगिता का स्तर थोड़ा कम होता है.