अब बदल जायेगा ”इंदिरा आवास योजना” का नाम
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार कांग्रेस के एक और महत्वकांक्षी योजना का नाम बदलने वाली है. पहले दो योजनाओं के नाम बदलने के बाद सरकार अब ‘इंदिरा आवास योजना’ का नाम बदलने की तैयारी में हैं. नाम के साथ-साथ इस योजना में कुछ सुविधाओं का इजाफा भी किया जायेगा. खबर आ रही है कि […]
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार कांग्रेस के एक और महत्वकांक्षी योजना का नाम बदलने वाली है. पहले दो योजनाओं के नाम बदलने के बाद सरकार अब ‘इंदिरा आवास योजना’ का नाम बदलने की तैयारी में हैं. नाम के साथ-साथ इस योजना में कुछ सुविधाओं का इजाफा भी किया जायेगा. खबर आ रही है कि इस योजना का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ किया जायेगा. एक अखबार की खबर के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस स्कीम में नाम के साथ भी और कई बदलाव किये जा रहे हैं. इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि इस योजना में ग्रामीण शब्द को शामिल किया जाए या नहीं.
इस योजना के तहत गरीबों के लिए घर बनाये जाते हैं. इस लिहाज से वोट बैंक के नजरिए से भी सरकार के लिए ये योजना काफी अहमियत रखती है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस स्कीम में संशोधन से जुड़ा नोट पहले ही पेश कर दिया है. इसमें इस योजना के तहत बनने वाले घरों को बड़ा और महंगा भी बनाने का प्रस्ताव है. हर घर की लागत तकरीबन दोगुनी होकर 1.25 लाख हो जाएगी, जबकि इसके लिए मौजूदा आवंटन 75,000 रुपये है. जबकि मरम्मत के लिए 15000 रुपये दिये जाते हैं.
घर की डिजाइन बदलने की भी तैयारी है अब किचेन का साइज कुछ बड़ा होगा. घर का कुल क्षेत्रफल 22 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 25 वर्ग मीटर कर दिया जाएगा. सरकार इस योजना को ग्रामीण विकास से जुड़ी अन्य योजनाओं के साथ भी जोड़ने के प्रस्ताव पर काम कर रही है. स्वच्छ भारत अभियान को इस योजना के साथ जोड़ दिया जायेगा. इंदिरा आवास योजना के तहत मैदानी इलाकों में हर यूनिट के लिए 70,000 रुपये, पहाड़ी इलाकों में 75,000 रुपये मिलती है.
पिछले तीन सालों में इंदिरा आवास योजना के तहत बन रहे मकानों की संख्या में बहुत गिरावट आयी है. इस योजना के तहत इस वित्त वर्ष में 9.80 लाख घर बनाये गये, जबकि लक्ष्य 25.19 लाख घरों का था. मकान बनाने में 10,764 करोड़ रुपये खर्च किये गये, जबकि इस वित्त वर्ष में 16,000 करोड़ रुपये का अनुमान जताया गया था. केंद्र सरकार सरकार ने अगले सात साल में ग्रामीण हाउसिंग स्कीम के तहत 3 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य तय किया है.
मोदी सरकार पहले ही राजीव गांधी के नाम से जुड़ी दो योजनाओं के नाम बदल चुकी है. इनमें से एक योजना का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखा गया है, जबकि दूसरी योजना में भारतीय जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय का नाम शामिल किया गया है.