मीडिया की ‘कानफोडू” बहसें तथ्यों पर हावी : जेटली

नयी दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा है कि समाचार और विचार के बीच की ‘विभाजक रेखा’ कमजोर हो गयी है, जिसके कारण दर्शक और पाठक तथ्यों को ढूंढते रह जाते हैं. उन्‍होंने कहा कि प्रिंट मीडिया खबरों को बिना किसी ‘झुकाव’ के पेश करके ‘पलटवार’ कर सकता है. वार्षिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2015 3:09 PM

नयी दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा है कि समाचार और विचार के बीच की ‘विभाजक रेखा’ कमजोर हो गयी है, जिसके कारण दर्शक और पाठक तथ्यों को ढूंढते रह जाते हैं. उन्‍होंने कहा कि प्रिंट मीडिया खबरों को बिना किसी ‘झुकाव’ के पेश करके ‘पलटवार’ कर सकता है. वार्षिक रिपोर्ट ‘भारत में प्रेस 2014-15′ पेश करते हुए वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि हालांकि टीवी चैनलों की बाढ सी आ गयी है लेकिन दर्शक अक्सर ‘कानफोडू बहसों’ को देखते हैं लेकिन तथ्यों को जानने की उनकी इच्छा की संतुष्टी नहीं हो पाती है. वित्त मंत्रालय का प्रभार भी देख रहे जेटली ने कहा कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट जैसे विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक प्रसार हुआ है. एक जैसी खबरों को कई स्वरुपों में इनपर पेश किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘पाठक को यह निर्णय लेना होता है कि सच क्या है.’ जेटली ने कहा कि पुराना सिद्धांत यह कहता था कि समाचार पवित्र होता है और इसे ‘किसी भी ओर झुकाव दिखाए बिना’ स्पष्ट रूप से पेश किया जाना चाहिए और विचारों को संपादकीय में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि समाचार और विचार के बीच की विभाजक रेखा बहुत कमजोर हो गयी है.’ जेटली ने कहा कि इस परिदृश्य में प्रिंट मीडिया स्पष्टता के साथ तथ्यों को पेश करके ‘पलटवार’ कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘टीवी चैनल जिस तरह से विस्फोट करते हैं, उस तरीके को देखते हुए मैं पलटवार शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं और टीवी चैनलों पर अकसर कानफोडू बहस होती हैं.’

जेटली ने कहा, ‘इस बहस के बाद दर्शक वास्तविक समाचार की तलाश करते रह जाते हैं. ऐसे में प्रिंट मीडिया के पास बडा अवसर है कि बिना कोई विचार पेश किए स्पष्ट समाचार पाठक तक पहुंचे.’ उन्होंने कहा कि विश्व में प्रिंट संगठन एक चुनौती का सामना कर रहे हैं, ऐसे में उनकी संख्या बढना लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है. जेटली ने एक रिपोर्ट में भारत के समाचार पत्र पंजीयक (आरएनआई) के एक ताजा आंकडे का जिक्र करते हुए कहा कि समाचारपत्रों की संख्या में आठ प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है और ऐसा मुख्यतय: क्षेत्रीय समाचार पत्रों के विकास के कारण हुआ है.

Next Article

Exit mobile version