मोदी ने सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल को बताया तबाही का नुस्खा

अहमदाबाद : भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आज पत्र लिख कर सांप्रदायिक हिंसा विरोधीविधेयक का विरोध किया और कहा कि प्रस्तावित विधेयक तबाही का नुस्खा है. मोदी ने विधेयक को राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण का प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2013 11:47 AM

अहमदाबाद : भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आज पत्र लिख कर सांप्रदायिक हिंसा विरोधीविधेयक का विरोध किया और कहा कि प्रस्तावित विधेयक तबाही का नुस्खा है.

मोदी ने विधेयक को राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण का प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि इस संबंध में आगे कोई कदम उठाने से पहले इस पर राज्य सरकारों, राजनीतिक पार्टियों, पुलिस और सुरक्षा एजेंसी जैसे साझेदारों से व्यापक विचार विमर्श किया जाना चाहिए. मोदी का यह पत्र संसद के शीत सत्र की शुरुआत पर सुबह आया है. मौजूदा सत्र में विधेयक पर चर्चा होने की उम्मीद है.

मोदी ने अपने पत्र में आरोप लगाया, सांप्रदायिक हिंसा विधेयक गलत ढंग से विचारित, जैसे तैसे तैयार और तबाही का नुस्खा है. भाजपा नेता ने कहा, राजनीति के कारणों से और वास्तविक सरोकार के बजाय वोट बैंक राजनीति के चलते विधेयक को लाने का समय संदिग्ध है. मोदी ने कहा कि प्रस्तावित कानून से लोग धार्मिक और भाषाई आधार पर और भी बंट जायेंगे.

उन्होंने कहा, प्रस्तावित विधेयक से धार्मिक और भाषाई शिनाख्त और भी मजबूत होंगी और हिंसा की मामूली घटनाओं को भी सांप्रदायिक रंग दिया जायेगा और इसतरह विधेयक जो हासिल करना चाहता है उसका उलटा नतीजा आयेगा. भाजपा नेता ने प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा उन्मूलन (न्याय एवं प्रतिपूर्ति) विधेयक, 2013 के कार्य के मुद्दे भी बुलंद किए.

उन्होंने कहा, मिसाल के तौर पर अनुच्छेद 3 (एफ) जो वैमनस्यपूर्ण वातावरण को परिभाषित करता है, व्यापक, अस्पष्ट है और दुरुपयोग के लिए खुला है.मोदी ने कहा, इसी तरह अनुच्छेद 4 के साथ पठन वाले अनुच्छेद 3 (डी) के तहत सांप्रदायिक हिंसा की परिभाषा ये सवाल खड़े करेगी कि क्या केंद्र भारतीय आपराधिक विधिशास्त्र के संदर्भ में विचार अपराध की अवधारणा लायी जा रही है.

मोदी ने अपने पत्र में कहा कि साक्ष्य अधिनियम के दृष्टिकोण से इन प्रावधानों को जांचा परखा नहीं गया है.उन्होंने कहा, लोक सेवकों, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आपराधिक रुप से जवाबदेह बनाने का कदम हमारी कानून-व्यवस्था प्रवर्तन एजेंसियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं और यह उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के प्रति उन्हें संवेदनशील बना सकता है. मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह सांप्रदायिक हिंसा निरोधी विधेयक ला रही है उससे राष्ट्र के संघीय ढांचा का वह कोई लिहाज नहीं कर रही.

पत्र में कहा गया, कानून-व्यवस्था राज्य सूची के तहत एक मुद्दा है और यह ऐसी चीज है जिसे राज्य सरकार की ओर से कार्यान्वित की जानी चाहिए.मोदी ने कहा कि अगर केंद्र कुछ साझा करना चाहता है तो वह कोई आदर्श विधेयक तैयार करने और विचारार्थ विभिन्न राज्य सरकारों के बीच उसे वितरित करने के लिए आजाद है.

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