सहस्रबुद्धे की टिप्पणी संभवत: संघ की आवाज : शिवसेना

मुंबई : शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे की भाजपा में कांग्रेस के मुकाबले ‘प्रतिभावान लोगों की कमी है’ वाली कथित टिप्पणी के बारे कहा है कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंदर की आवाज हो सकती है. शिवसेना ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2016 1:45 PM

मुंबई : शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे की भाजपा में कांग्रेस के मुकाबले ‘प्रतिभावान लोगों की कमी है’ वाली कथित टिप्पणी के बारे कहा है कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंदर की आवाज हो सकती है.

शिवसेना ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का ‘टैलेंट’ अर्थात प्रतिभा आकाश को छूने वाली है लेकिन यह देश अकराल-विकराल है. इसे चलाने के लिए मोदी को उनकी तरह ही सौ समर्थ हाथों की जरुरत है. ‘कामचलाऊ’ होना टिकाऊ नहीं होता.’ शिवसेना ने संपादकीय में कहा, ‘‘सहस्रबुद्धे ने कहा कि कांग्रेस की तुलना में भाजपा में प्रतिभा की कमी है. वह संघ परिवार के पुराने और जानकार शिलेदार हैं. बोलने में और व्यवहार में वह आकांडतांडव नहीं करते.

जो उन्होंने कहा वह सही है. कहीं यह संघ परिवार के अंदर की आवाज तो नहीं है ना?’ एक अंतरराष्ट्रीय संवाद समिति ने सहस्रबुद्धे के हवाले से कहा कि ‘कांग्रेस की तुलना में भाजपा के पास कम प्रतिभावान लोग हैं.’ बाद में सहस्रबुद्धे ने इस बयान पर सफाई भी दी थी.

सामना में कहा गया है कि देश का जो मौजूदा माहौल है वह उन्हें देश की जनता के लिए पोषक नहीं लगता.अपनी सफाई में विनय सहस्रबुद्धे ने कहा था कि भाजपा में प्रतिभाशाली लोगों की कमी का कोई प्रश्न ही नहीं है और राज्यों और केंद्र में दोनों जगह इसके मंत्रियों ने कांग्रेस एवं अन्य दलों से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है.
सत्तारुढ दल की बड़बोली सहयोगी शिवसेना ने कहा, ‘‘सहस्रबुद्धे ने जैसे कोई बड़ा अपराध (इस टिप्पणी के माध्यम से) कर दिया हो, ऐसा दर्शाते हुए उन्हें अपनी बात से पीछे से हटना पड़ा. उन्होंने जो कुछ कहा वह तर्कसंगत था और इससे भाजपा की साख गिरी है, ऐसा हमें नहीं लगता.’ शिवसेना के मंत्रियों को राज्य में किनारे किए जाने को लेकर राज्य सरकार पर हमला करते हुए शिवसेना ने कहा, ‘‘हमने साफ तौर पर (भाजपा से) कहा था कि महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के मंत्रियों की कार्यक्षमता का इस्तेमाल करो. लेकिन ‘टैलेंट’ (प्रतिभा) को मारने की राजनीति होती है और वह राज्य एवं देश की जड़ पर आ जाती है.’

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