सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के कई प्रावधान हटाने का फैसला
नयी दिल्ली: विपक्ष के कडे विरोध के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने विवादास्पद सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के कई प्रावधान हटाने का आज फैसला किया है. सरकार ने सुनिश्चित किया है कि यह विधेयक समूहों या समुदायों के बीच तटस्थ हो. सरकारी सूत्रों ने कहा कि सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा विधेयक 2013 […]
नयी दिल्ली: विपक्ष के कडे विरोध के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने विवादास्पद सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के कई प्रावधान हटाने का आज फैसला किया है. सरकार ने सुनिश्चित किया है कि यह विधेयक समूहों या समुदायों के बीच तटस्थ हो.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा विधेयक 2013 के मसौदे में किये गये प्रावधानों को संशोधित करने की ताजा पहल भाजपा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की आलोचनाओं के परिप्रेक्ष्य में की गयी है.
इससे पहले विधेयक में स्पष्ट रुप से उल्लेख था कि दंगों का दायित्व बहुसंख्यक समुदाय पर होगा. अब मसौदा विधेयक को सभी समूहों या समुदायों के लिए तटस्थ बनाया गया है और केंद्र सरकार कथित रुप से राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन नहीं कर पाएगी.सूत्रों ने कहा कि विधेयक से देश के संघीय ढांचे पर कोई हमला नहीं होगा और केंद्र सरकार की भूमिका आम तौर पर समन्वय की होगी और वह तभी कोई कार्रवाई करेगी, जब राज्य सरकार मदद मांगती है.
नये मसौदे के मुताबिक ‘‘यदि राज्य सरकार की राय है कि सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार की सहायता की जरुरत है तो वह ऐसे उद्देश्य से केंद्र के सशस्त्र बलों की तैनाती के लिए केंद्र सरकार की सहायता मांग सकती है.’‘ इससे पहले विधेयक के मसौदे में केंद्र को सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति में राज्य सरकार से सलाह मशविरा किये बिना केंद्रीय अर्धसैनिक बल भेजने का एकतरफा अधिकार था.