नयी दिल्ली : पंजाब के पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण :एएसआई: ने देश में केंद्र द्वारा संरक्षित 3,600 से ज्यादा स्मारकों और धरोहर स्थलों की हिफाजत में तैनात जवानों से कहा है कि वे अतिरिक्त चौकसी बरतें और हर पल मुस्तैद रहें. एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक शरत शर्मा ने भाषा को बताया कि हमने देश भर में अपने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं वे यह सुनिश्चित करें कि स्मारकों की सुरक्षा में तैनात जवान हर वक्त मुस्तैद रहें और फिलहाल अतिरिक्त चौकसी बरतें.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करने वाला एएसआई देश के कुछ सबसे पुराने पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण की जिम्मेदारी निभाता है. उनमें उत्तर प्रदेश का सारनाथ, बिहार के नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय, कर्नाटक का हम्पी, मुगलों के शासनकाल में बनाए गए ताज महल, लाल किला, हुमायूं का मकबरा, कुतुब मीनार जैसे पुरातात्विक स्थल शामिल हैं. शर्मा ने कहा कि विभिन्न स्मारकों में हमारे पास कई स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है जिसमें हमारे अपने सुरक्षा गार्ड और राज्य पुलिस के अलावा होम गार्ड और पूर्व सैनिक शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यूं तो हमें हमारे स्मारकों को संभावित खतरे को लेकर किसी सुरक्षा एजेंसी से कोई अलर्ट नहीं मिला है लेकिन इसके बावजूद हमने पठानकोट में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर सुरक्षा टीमों से अतिरिक्त चौकसी बरतने को कहा है. शर्मा ने कहा कि एएसआई देश के 3,686 स्मारकों और स्थलों का संरक्षण करता है. करीब 1,500 सुरक्षाकर्मी इनकी हिफाजत के लिए तैनात हैं.
सभी धरोहर स्थलों में से सिर्फ ताज महल और दिल्ली के लाल किले में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं. शर्मा ने कहा कि सीआईएसएफ अपनी इच्छा के मुताबिक सुरक्षा तैनाती में इजाफा कर सकता है. उन्होंने कहा कि हमें यह सूचना भी नहीं मिली है कि कोई खास स्मारक संवेदनशील है, फिर भी हम पैनी नजर रख रहे हैं. एएसआई के आगरा प्रमुख भुवन विक्रम ने कहा कि फिलहाल ताज में पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. हमें सुरक्षा कवर बढाने को लेकर अब तक कोई निर्देश नहीं मिले हैं. साल 1861 में स्थापित किया गया एएसआई देश भर में फैले अपने विभिन्न सर्किलों के जरिए धरोहर स्थलों का संरक्षण करता है. उत्तर भारत में चंडीगढ सर्किल, देहरादून सर्किल, पटना सर्किल, लखनउ सर्किल और दिल्ली सर्किल आते हैं.