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एक्शन में मोदी सरकार, लगातार दूसरे सप्ताह कैबिनेट ने लिये कई बड़े फैसले

नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार एक्शन में दिख रही है. सरकार ने लगातार दूसरे सप्ताह कई अहम निर्णय लिये हैं. पिछले सप्ताह नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने जहां सोलर इनर्जी के लिए कोष बढ़ाने व आस्ट्रेलिया के साथ असैन्य परमाणु करार को स्वीकृति दी थी, वहीं इस बार सरकार ने स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मुद्रा […]


नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार एक्शन में दिख रही है. सरकार ने लगातार दूसरे सप्ताह कई अहम निर्णय लिये हैं. पिछले सप्ताह नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने जहां सोलर इनर्जी के लिए कोष बढ़ाने व आस्ट्रेलिया के साथ असैन्य परमाणु करार को स्वीकृति दी थी, वहीं इस बार सरकार ने स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मुद्रा को बैंक का दर्जा देने, फरक्का परियोजना, प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित कई अहम फैसले लिये.

फरक्का परियोजना की जमीन अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को देने को मंजूरी दी


सरकार ने फरक्का स्थित मौजूदा नौवहन लॉक के समानान्तर नये नौवहन लॉक के निर्माण के लिये फरक्का बांध परियोजना की जमीन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण :आईडब्ल्यूएआई: को दिये जाने की आज मंजूरी दे दी. सरकारी बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जल संसाधन मंत्रालय के अधीन आने वाली फरक्का बांध परियोजना की 14.86 हैक्टेयर जमीन पोत परिवहन मंत्रालय के अधीन आने वाले भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण :आईडब्ल्यूएआई: को हस्तांतरित किये जाने को मंजूरी दे दी.’ इस जमीन की लागत करीब 2.35 करोड़ रुपयेहैं और इसका वहन आईडब्ल्यूएआई करेगा.

बयान में कहा गया है कि नौवहन लॉक, जलमार्ग विकास परियोजना की उप परियोजना है और नये लॉक से राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या -1 में जहाजों का सुचारू आवागमन हो सकेगा.

फरक्का बांध परियोजना के नियंत्रण में आने वाला नौवहन लॉक फरक्का में 1987 से है. इस लॉक को अब आधुनिक बनाने की जरूरत है.

बयान के अनुसार मौजूदा लॉक जहाजों के सुचारु आवागमन का प्रबंधन करने में असमर्थ है और जहाजों को यहां से गुजरने पर अच्छा-खासा समय लगता है.

इसीलिए जहाजों की बढती संख्या और कार्गो की मात्रा को देखते हुए उनके आसानी से आवागमन केलिए एक अतिरिक्त लॉक के निर्माण की जरूरत है.

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अनुसूचित जाति, जनजाति व महिला उद्यमियों के स्टैंडअप योजना मंजूर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकों के जरिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा महिला श्रेणी के कम से कम 2.5 लाख उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना को आज मंजूरी दे दी. ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक :सिडबी: के जरिए पुनर्वित्तपोषण उपलब्ध कराने वाली योजना होगा. इसकी शुरआती राशि 10,000 करोड़रुपये होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया.

बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के अनुसार,‘ इस योजना के जरिए बैंक की प्रति शाखा से कम से कम ऐसी दो परियोजनाओं को मदद देना है ताकि कम से कम 2.5 लाख कर्जदारों को लाभ मिले. ‘ बयान के अनुसार 2.5 लाख लाभान्वितों तक पहुंचने का लक्ष्य योजना की शुरुआत से 36 महीने में पूरा करना तय किया गया है. इसके तहत राष्ट्रीयऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी : एनसीजीटीसी : के जरिएऋण गारंटी प्रणाली सृजित करना है.

इस योजना के तहत गैर कृषि क्षेत्र में नये उपक्रमों के लिए 10 लाख रुपये से एक करोड़रुपये का कर्ज सात साल तक के लिए दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को देश को संबोधित करते हुए ‘स्टार्टअप इंडिया स्टैंड अप इंडिया’ पहल की घोषणा की थी.

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‘मुद्रा’ को बैंक बनाने का प्रस्ताव मंजूर

मंत्रिमंडल ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी मुद्रा लिमिटेड को मुद्रा बैंक में तब्दील करने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दी. इसके साथ साथ प्रधानमंत्री सूक्ष्म इकाई विकास पुनर्वित्त एजेंसी :मुद्रा: योजना के तहत वितरित ऋणों पर गारंटी के लिए एक ऋण गारंटी कोष स्थापित करने की भी मंजूरी दी गयी है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना के तहत दिये जाने वाले रिणों के लिए एक रिण गारंटी कोष बनाने और मुद्रा लिमिटेड को ‘‘मुद्रा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक :सिडबी: बैंक में तब्दील करने की मंजूरी दी जो सिडबी की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी के तौर पर काम करेगा.

बयान में कहा गया है, ‘‘मुद्रा :सिडबी: बैंक पुनर्वित्त कारोबार का परिचालन करेगा और सहायता सेवाएं प्रदान करेगा जिनमें पोर्टल प्रबंधन, डाटा ऐनेलिसिस तथा भारत सरकार द्वारा दीगयी कोई भी अन्य जिम्मेदारी भी होगी.’ ऋण गारंटी कोष से पहले चरण में सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों को एक लाख करोड़रुपये से अधिक की गारंटी प्रदान किए जाने की उम्मीद है. इससे इस योजना के तहत ऋण वापसी में चूक की स्थिति में बैंकों और वित्तीय संस्थानों का जोखिम कम करने में मदद मिलेगी.

ऋणों गारंटी कोष : सीजीएफएमयू : की सुविधा आठ अप्रैल 2015 से इस योजना के तहत स्वीकृत ऋण पर लागू होगी. बयान में कहा गया कि भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी नैशनलक्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड :एनसीजीटीसी लिमिटेड: का गठन कंपनी अधिनियम के तहत किया गया था ताकि विभिन्न किस्म के ऋण गारंटी कोष का प्रबंधन और परिचालन किया जा सके. एनसीजीटीसी लिमिटेड इस कोष की न्यासी होगी.


कंपनी मामलों पर सूचना के आदान-प्रदान के लिए आठ समझौतों को मंजूरी


ज्ञान एवं सूचना के आदान-प्रदान के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय, सीसीआई और भारतीय कंपनी मामले संस्थान :आईआईसीए: द्वारा विदेशी संगठनों के साथ किये गये समझौतों को आज मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान की.

इन आठ समझौतों से ज्ञान एवं सूचना के आदान-प्रदान, तकनीकी सहयोग, अनुभव साझा करने एवं संबद्ध संगठनों के साथ प्रवर्तन सहयोग में सुविधा होगी.

इन समझौते के तहत कारपोरेट नियमन के क्षेत्र में कंपनी संचालन व सीएसआर, लेखांकन के पेशे एवं कारपोरेट खुलासा व रिपोर्टिंग शामिल हैं. एमओयू के क्रियान्वयन की निगरानी कंपनी संचालन व सीएसआर पर एक द्विपक्षीय कार्य समूह द्वारा की जाएगी.

इन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कंपनी मामलों के मंत्रालय और नीदरलैंड के आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा किये गये हैं.

इसके अलावा सीसीआई द्वारा रूसी महासंघ के संघी एकाधिकार- रोधी सेवा, आस्ट्रेलियाई प्रतिस्पर्धा एवं उपभोक्ता आयोग, यूरोपीय आयोग के प्रतिस्पर्धा महानिदेशालय एवं कनाडा के प्रतिस्पर्धा कार्यालय के साथ समझौते किए गए हैं.

वहीं आईआईसीए ने अमेरिका की जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट आफ डायरेक्टर्स और अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम के साथ समझौते किए हैं.

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औपचारिक अर्थव्यवस्था संबंधी आईएलओ की सिफारिशों को संसद के समक्ष प्रस्तुत करने की मंजूरी

सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और आर्थिक इकाइयों के असंगठित क्षेत्र में प्रवेश करने के संबंध में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन :आईएलओ: में तय सिफारिशों को आज अनुमोदित कर दिया. इसे संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. आईअएलओ के सदस्य देशों के लिए ये सिफारिशें असंगठित श्रमिकों और इकाइयों को संगठित या औपचारिक क्षेत्र में प्रवेश करने की दिशा में सहूलियत के लिए हैं. इनका लक्ष्य है कामगारों के बुनियादी अधिकार का सम्मान करना तथा सर्जनात्मकता को बढावा देना, उपक्रमों का संरक्षण तथा उनकी वहनीयता बरकरार रखना और औपचारिक अर्थव्यवस्था में अच्छी नौकरी प्रदान करना. इसके अलावा औपचारिक आर्थिक रोजगार को गैर-औपचारिक बनने से रोकने में भी मदद मिलती है.

आज जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असंगठित से संगठित अर्थव्यवस्था में प्रवेश :नंबर 204: से संबंधी सिफारिशों पर आईएलओ कीनयी संधि को संसद के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. ‘ अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन ने जून 2015 में जिनीवा में मंच के 104वें सत्र में इन सिफारिशों को मंजूरी दी थी.

बयान के मुताबिक भारत ने इसका अनुमोदन कर दिया है. इस सत्र का प्रतिनिधित्व केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री ने किया था.

आईएलओ की सिफारिश के अनुमोदन के मामले में भारत पर कोई वित्तीय असर नहीं होगा जो देश में हर कामगार पर लागू होगा.

चेक गणराज्य भारत में भारी उद्योग के आधुनिकीकरण में मदद करेगा


भारत ने भारी उद्योग, विशेष तौर पर औद्योगिक सहयोग और सुविधाओं के निर्माण क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग संवर्धन के लिए चेक गणराज्य के साथ प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल को आज इस बारे में जानकारी दी गयी. इस प्रोटोकॉल में भारत में चेक कंपनियों द्वारा मौजूदा सुविधाओं को आधुनिक बनाना शामिल है. इनमें 1960 के दशक में चेक गणराज्य की सहायता से रांची में स्थापित हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन के तीन संयंत्रों, भारी उद्योग विभाग के तहत आने वाले एक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम का आधुनिकीकरण भी शामिल है.

आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस प्रोटोकॉल का लक्ष्य है भारी उद्याग क्षेत्र में आपसी सहूलियत और फायदे के लिए द्विपक्षीय सहयोग को बढावा देना.

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भारत बीएस-5 को लांघते हुए एक अप्रैल, 2020 से बीएस-6 नियम लागू करेगा


वाहनों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने की दिशा में सरकार ने बीएस-5 को छोड़ते हुए एक अप्रैल, 2020 से सीधे भारत चरण :बीएस: 6 वाहन उत्सर्जन नियमों को लागू करने का आज निर्णय किया. बीएस-6, बीएस-5 से कहीं अधिक सख्त उत्सर्जन नियम है.

सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई एक अंतर मंत्रालयी बैठक में यह निर्णय किया गया. बैठक में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर भी शामिल थे.

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बैठक के बाद गडकरी ने बताया, ‘‘ सरकार ने एक अप्रैल, 2020 से बीएस-4 से सीधे बीएस-6 की ओर रख करने का निर्णय किया है. हमने बीएस-5 उत्सर्जन नियमों को छोडने का निर्णय किया है. यह एकबड़ा फैसला है और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है.’ उन्होंने कहा कि अन्य सभी मंत्रालयों ने इसका क्रियान्वयन सफल बनाने के लिए सहयोग का आश्वासन दिया है. दिसंबर के अंत में प्रधान ने कहा था कि भारत यूरो-4 उत्सर्जन नियमों के अनुपालन वाले पेट्रोल व डीजल से 2020 तक सीधे यूरो-6 ईंधन पर जाएगा.

इससे पहले भी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय एवं पर्यावरण व वन मंत्रालय के प्रतिनिधियों की एक अंतर..मंत्रालयी बैठक हुई थी, लेकिन उसमें इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन सकी थी.

वर्तमान में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में बीएस-4 ईंधनों की आपूर्ति की जा रही है, जबकि देश के बाकी हिस्से में बीएस-3 ईंधन की आपूर्ति की जा रही हैं.

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