केंद्र के फैसले को लेकर पेटा ने जतायी नाराजगी
नयी दिल्ली : सांडों को काबू में करने और सांड तथा बैलों की दौडों से जुडे अन्य लोकप्रिय खेल को केंद्र की ओर से अनुमति दिए जाने की निंदा करते हुये पेटा इंडिया ने आज कहा है क्रूरता के खिलाफ संरक्षण हटाना राष्ट्र के लिए एक ‘काला धब्बा’ है और वह इस फैसले के खिलाफ […]
नयी दिल्ली : सांडों को काबू में करने और सांड तथा बैलों की दौडों से जुडे अन्य लोकप्रिय खेल को केंद्र की ओर से अनुमति दिए जाने की निंदा करते हुये पेटा इंडिया ने आज कहा है क्रूरता के खिलाफ संरक्षण हटाना राष्ट्र के लिए एक ‘काला धब्बा’ है और वह इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी.
पीपुल्स फॉर द एथिकल टरीटमेंट ऑफ एनिमलस (पेटा) इंडिया ने कहा कि भाजपा समर्थक भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जो लोग मवेशियों के शुभचिंतक होने का दावा करते थे वे अब उन पर क्रूरता होने दे रहे हैं जबकि उच्चतम न्यायालय ने इस पर प्रतिबंध लगाया था.
पेटा इंडिया के सीईओ पूर्वा जोशीपुरा ने बताया, ‘‘आज सुबह से हमारे फोन भाजपा समर्थकों और अन्य लोगों की कॉल से घनघना रहे हैं जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जो अधिकारी मवेशियों के शुभचिंतक होने का दावा करते थे वे अब उन पर क्रूरता की अनुमति दे रहे हैं जिस पर उच्चतम न्यायालय ने पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा था .”
उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण मंत्रालय ने खुद 2011 में सांडा के इस्तेमाल वाले कार्यक्रमों पर रोक लगा दी थी और मवेशियों के प्रति कू्ररता की रोकथाम अधिनियम के तहत 1960 से जल्लीकट्टू, सांड की दौड और सांड की लडाईयां गैरकानूनी हो गयी थीं .” केंद्र ने आज सांडों को काबू में करने के खेल जल्लीकट्टू को मंजूरी देने के लिए एक अधिसूचना जारी की जिसके बाद यह प्रतिक्रिया सामने आयी है. तमिलनाडू में राजनीतिक दलों द्वारा यह प्रतिबंध हटाए जाने की व्यापक तौर पर मांग की जा रही थी. इस राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.