श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर देश की आजादी के बाद से सातवीं बार राज्यपाल शासन के तहत आया है और दिलचस्प बात यह है कि इन सभी अवसरों पर मुफ्ती मोहम्मद सईद किसी न किसी तरह से महत्वपूर्ण भूमिका में रहे. पिछले दिनों सईद का निधन हुआ जिसके बाद कल राज्य में सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा क्योंकि सहयोगी दलों भाजपा और पीडीपी ने चार दिनों की शोक की अवधि के दौरान सरकार बनाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है.
पीडीपी के संरक्षण सईद का बीते गुरुवार को दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया था. जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 को लागू करते हुए राज्यपाल एनएन वोहरा ने कल राज्यपाल शासन लगा दिया जो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की संतुति के बाद आठ जनवरी से प्रभावी रहेगा. जम्मू-कश्मीर में 26 मार्च, 1977 को पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा था। उस वक्त सईद की अध्यक्षता वाली प्रदेश कांग्रेस इकाई ने शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ 1975 में हुए समझौते के तहत शेख अब्दुल्ला की सरकार बनी थी.
पहली बार राज्य में राज्यपाल शासन 105 दिनों तक रहा और यह नेशनल कांफ्रेंस की सत्ता में वापसी के साथ खत्म हुआ. दूसरी बार राज्यपाल शासन मार्च, 1986 में लगा जब कांग्रेस ने गुलाम मोहम्मद शाह के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया. उस वक्त भी सईद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। इस बार राज्यपाल शासन 246 दिनों तक चला.