वज्रपात से रविवार को हुई 70 लोगों की मौत, हर साल सैकड़ों होते हैं शिकार, कैसे लग सकती है लगाम…
रविवार को देश में लगभग 70 लोगों की मौत वज्रपात की वजह से हो गयी. जिन राज्यों में यह हादसा हुआ उनके नाम हैं उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान. गौरतलब है कि इससे पहले जून महीने में पश्चिम बंगाल में वज्रपात से 27 लोगों की मौत हुई थी.
रविवार को देश में लगभग 70 लोगों की मौत वज्रपात की वजह से हो गयी. जिन राज्यों में यह हादसा हुआ उनके नाम हैं उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान. गौरतलब है कि इससे पहले जून महीने में पश्चिम बंगाल में वज्रपात से 27 लोगों की मौत हुई थी.
इंडिया टुडे की खबर के अनुसार यह ध्यान देने वाली बात है कि तकनीक के विकास के बावजूद देश में वज्रपात से सैकड़ों लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ता है. एनसीआरबी के डाटा के अनुसार वज्रपात से मौत हमारे देश में एक बहुत ही आम कारण है और प्राकृतिक कारणों से होने वाली मौत में 35.3 प्रतिशत लोगों की मौत वज्रपात की वजह से होती है.
वज्रपात को लेकर वार्षिक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक के बीच देश में बिजली गिरने से 1,619 लोगों की मौत हुई है. बिहार में सबसे अधिक 401 लोगों की मौत हुई उसके बाद यूपी और एमपी का स्थान है जहां दो सौ से ज्यादा मौत हुई.
यह रिपोर्ट क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (CROPC) द्वारा तैयार की गई है, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के साथ मिलकर काम करता है. यह वज्रपात से संबंधित पूर्वानुमान पर काम करता है, ताकि लोगों को इससे बचाया जा सके.
वज्रपात क्या है?
सरल शब्दों में समझें तो वज्रपात बिजली की एक तेज चिंगारी है जो वातावरण में बादल, हवा और जमीन के बीच उत्पन होती है. आकाशीय बिजली के जमीन पर गिरने से मनुष्य और जानवर इसके शिकार बन जाते हैं और संपत्ति का भी नुकसान होता है. आकाशीय बिजली बादलों के घर्षण उत्पन्न होती है उसमें नेगेटिव चार्ज होता है, जबकि हमारी धरती में पॉजिटिव चार्ज होता है. यही वजह है कि आकाशीय बिजली धरती की ओर गिरती है.
क्यों होती है वज्रपात से इतनी मौत
रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकतर मौत जानकारी के अभाव के कारण होती है. वज्रपात से हुई 70 प्रतिशत मौत में यह देखा गया है कि लोग बड़े ऊंचे पेड़ के नीचे खड़े थे और उनपर बिजली गिरी जिससे उनकी मौत हो गयी. 25 फीसदी लोग खुले में होने के कारण मारे गये. हमारे देश में ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में वज्रपात की घटनाएं ज्यादा होती हैं क्योंकि यह इलाका छोटानागपुर पठार का है.
Also Read: 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलेगा संसद का मानसून सत्र, कोरोना महामारी को देखते हुए ऐसी है व्यवस्था
कैसे कम हो मौत का आंकड़ा
रिपोर्ट में बताया गया है कि अलग-अलग राज्यों में बिजली गिरने का मौसम अलग-अलग होता है. प्री मानसून बारिश के दौरान बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में ज्यादा होती है. आम लोगों को वज्रपात से बचाने के लिए खुले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बिजली की पूर्व चेतावनी देने से मौत की संख्या कम की जा सकती है. साथ ही तड़ित चालक का प्रयोग अधिक से अधिक करके भी मौत को रोका जा सकता है.
Posted By : Rajneesh Anand