15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गोरखधंधा : कनाडा में पढ़ाई करने गए भारत के 700 छात्रों का ऑफर लेटर फर्जी, जानें कैसे होती है ठगी

आखिरकार जब इन छात्रों का दूसरे कॉलेजों में एडमिशन सुनिश्चित था, तो फिर इन्हें फर्जी ऑफर लेटर क्यों दिए गए. अखबार लिखता है कि भारत के इन 700 छात्रों को फर्जी ऑफर लेटर मुहैया कराने वाला एजेंट बृजेश मिश्रा फिलहाल गायब हो गया है.

नई दिल्ली : भारत में शिक्षा के क्षेत्र में धंधेबाजों की कमी नहीं है. विदेशी कॉलेज में दाखिले के नाम पर ये धंधेबाज फर्जीवाड़े का गोरखधंधा धड़ल्ले से कर रहे हैं. आलम यह कि इन धंधेबाजों की वजह से कनाडा में भारत के करीब 700 छात्रों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया. इसका कारण यह है कि वे कॉलेज की ओर से मुहैया कराए गए एडमिशन ऑफर लेटर के आधार पर वे अध्ययन वीजा पर तीन-चार साल पहले पढ़ाई करने के लिए कनाडा गए थे, लेकिन जांच के दौरान उनका ऑफ लेटर ही फर्जी पाया गया. अब स्थिति यह है कि इन छात्रों को कनाडा के कॉलेजों ने निष्कासित कर दिया है.

कैसे हुआ खुलासा

अंग्रेजी के अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के कॉलेजों में पढ़ाई करने के भारत के इन 700 छात्रों को बृजेश मिश्रा नामक एजेंट की ओर से एडमिशन ऑफर लेटर मुहैया कराई गई थी. इन फर्जी ऑफर लेटर्स के आधार इन छात्रों को कनाडा के कॉलेजों में दाखिला कराया गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद इन छात्रों ने इसी देश में नौकरी करनी भी शुरू कर दी. जब इन छात्रों ने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया, तो इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ और कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी ने जाली पत्रों को चिह्नित किया.

कैसे चलता है यह गोरखधंधा

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि आखिरकार जब इन छात्रों का दूसरे कॉलेजों में एडमिशन सुनिश्चित था, तो फिर इन्हें फर्जी ऑफर लेटर क्यों दिए गए. अखबार लिखता है कि भारत के इन 700 छात्रों को फर्जी ऑफर लेटर मुहैया कराने वाला एजेंट बृजेश मिश्रा फिलहाल गायब हो गया है. यह पंजाब के जालंधर में एजुकेशन माइग्रेशन सर्विसेज नामक एक फर्म चलाता था और प्रत्येक छात्रों से विदेशी कॉलेज में दाखिला कराने के लिए दस्तावेज मुहैया कराने के नाम पर लाखों रुपये ऐंठता था. आमतौर पर, 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद कई छात्र विदेशी कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए स्टडी वीजा हासिल करने के लिए एजेंट या कंसल्टेंसी कंपनियों से संपर्क करते हैं. वे एजेंटों को अपने शैक्षिक प्रमाण, आईईएलटीएस योग्यता प्रमाण पत्र और वित्तीय दस्तावेज प्रदान करते हैं. इसके आधार पर कंसल्टेंट द्वारा एक फाइल तैयार की जाती है, जिसमें छात्र शैक्षणिक संस्थानों और पाठ्यक्रमों के लिए अपनी पसंद का उल्लेख करते हैं. कंसल्टेंसी कॉलेजों और पाठ्यक्रमों के चुनाव के लिए अपने इनपुट भी देती है.

छात्रों की चाहत का फायदा उठाते हैं एजेंट

रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी कॉलेजों में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले अधिकांश छात्र सरकार द्वारा संचालित कॉलेजों और कुछ प्रमुख निजी संस्थानों को पसंद करते हैं. कंसल्टेंसी कंपनियों तब छात्रों की ओर से वांछित कॉलेजों में आवेदन करता है. कॉलेज से प्रस्ताव पत्र प्राप्त करने के बाद छात्र को पैसा जमा करना पड़ता है. इसे रकम को वह एजेंट को भुगतान करता है, जो आगे कॉलेज को भुगतान करता है और फिर छात्रों को कॉलेजों की ओर से स्वीकृति पत्र (एलओए) और शुल्क जमा रसीद प्राप्त होती है. इसके अलावा, छात्रों को एक गारंटीकृत निवेश प्रमाणपत्र (जीआईसी) प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, जिसमें रहने की लागत और एक वर्ष का अग्रिम भुगतान शामिल होता है. इन दस्तावेजों के आधार पर छात्रों के वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है और फिर दूतावास द्वारा उनके वीजा को अस्वीकार या अस्वीकार किए जाने से पहले उन्हें बायोमेट्रिक्स के लिए उपस्थित होना पड़ता है.

क्या गोरखधंधे से छात्र कैसे रहे अनभिज्ञ

अखबार लिखता है कि छात्रों को विदेशी कॉलेज में दाखिले की सुविधा प्रदान करने वाले सलाहकार और एजेंट राज्य सरकार के साथ पंजीकृत हैं. विदेशी शिक्षा से जुड़े लोगों ने बताया कि छात्र आमतौर पर अपने एजेंटों पर भरोसा करते हैं और इसलिए इसकी पड़ताल नहीं करते हैं कि ऑफर लेटर असली है या नहीं. इसके अलावा, कनाडा में प्रवेश करने के बाद छात्रों को कॉलेजों को बदलने की अनुमति देता है. इसलिए एजेंट ने उन्हें केवल यह बताया कि किसी विशेष कॉलेज में उनका प्रवेश हो गया है या कोई अन्य कॉलेज उनके लिए बेहतर हो सकता है.

दूतावास की कैसे होती भूमिका

विशेषज्ञों के अनुसार, कनाडा दूतावास के अधिकारियों को वीजा देने से पहले कॉलेजों से ऑफर लेटर सहित सभी संलग्न दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच करने की आवश्यकता है. अब सवाल यह भी पैदा होता है कि जब दूसरे कॉलेजों में प्रवेश संभव था तो फर्जी ऑफर लेटर क्यों बनाए गए? इसके जवाब में विशेषज्ञों ने बताया कि एक दशक से अधिक समय से छात्रों को कनाडा भेजने वाले एक शैक्षिक सलाहकार ने कहा कि बृजेश मिश्रा जैसे लोगों को यह पता होता है कि प्रतिष्ठित संस्थानों के ऑफर लेटर की ज्यादा जांच नहीं की जाती है, लेकिन यह काफी आश्चर्यजनक है कि दूतावास स्तर पर एक विशेष कॉलेज से बड़ी संख्या में ऑफर लेटर को कैसे नजरअंदाज किया गया, जहां वीजा जारी करने से पहले बहुत जांच की जाती है.

Also Read: Cyber Crime: ट्रेजरी ऑफिसर बनकर UP के रिटायर्ड पुलिसकर्मियों से ठगी, अकाउंट से उड़ाए 26 लाख रुपये, 1 अरेस्ट

दूसरा कारण यह है कि यदि कोई विशेष कॉलेज काफी प्रतिष्ठित है, तो उसका एक प्रस्ताव पत्र अन्य निजी कॉलेजों की तुलना में वीजा सफलता दर को बढ़ाता है. कनाडा में उतरने के बाद कॉलेजों को बदलने के लिए छात्रों को नामित शिक्षण संस्थान (डीएलआई), आईडी नंबर और नए कॉलेज के नाम का विवरण प्रदान करने के साथ-साथ आव्रजन शरणार्थियों और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) को सूचित करना होगा, जिसे ठगे गए छात्रों ने किया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें