जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाली केंद्र की अधिसूचना को उच्चतम न्यायालय में चुनौती
नयी दिल्ली : तमिलनाडु में पोंगल उत्सव के दौरान सांडों को काबू में करने के खेल जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने की केंद्र की अधिसूचना को आज उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी. मुद्दे पर तत्काल सुनवाई का आग्रह करने वाली याचिकाओं का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया […]
नयी दिल्ली : तमिलनाडु में पोंगल उत्सव के दौरान सांडों को काबू में करने के खेल जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने की केंद्र की अधिसूचना को आज उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी.
मुद्दे पर तत्काल सुनवाई का आग्रह करने वाली याचिकाओं का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया गया. पीठ इस पर कल मंगलवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गयी.
याचिकाएं एनीमल वेल्फेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, पीपुल फॉर द एथिकल टरीटमेंट ऑफ एनीमल्स :पेटा: इंडिया तथा एक बेंगलूर स्थित एक गैर सरकारी संगठन :एनजीओ: द्वारा दायर की गयी.
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर लगे चार साल पुरानी रोक को मोदी सरकार ने आठ जनवरी को कुछ खास प्रतिबंधों के साथ हटा लिया था. तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं.
पारंपरिक फसल उत्सव पोंगल और देश के अन्य हिस्सों में बैलगाड़ी दौड़ शुरू होने से कुछ दिन पहले जल्लीकट्टू को अनुमति देने का फैसला पशु अधिकार कार्यकर्ता समूहों कीकड़ी आपत्तियों के बावजूद एक सरकारी अधिसूचना के जरिए आया.
सांडों को काबू में करने का खेल जल्लीकट्टू तमिलनाडु में मत्तू पोंगल दिवस के अवसर पर पोंगल समारोहों के तहत आयोजित किया जाता है.
अधिसूचना में कहा गया था, ‘‘…केंद्र सरकार इसके द्वारा स्पष्ट करती है कि इस अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से निम्नलिखित जानवरों को प्रदर्शन करने वाले जानवरों केरूप में प्रदर्शित या प्रशिक्षित नहीं किया जाएगा जिनके नाम हैं– भालू, बंदर, बाघ, तेंदुआ, शेर और सांड.’ इसमें कहा गया था, ‘‘हालांकि सांडों को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू और महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और गुजरात में बैलगाड़ी दौड़ जैसे आयोजनों में किसी समुदाय की रीतियों या पारंपरिक चलन के तौर तरीकों के तहत प्रदर्शन करने वाले जानवरों केय में प्रदर्शित या प्रशिक्षित करना जारी रखा जा सकता है.’
केंद्र ने हालांकि यह कहते हुए कुछ शर्तें लगाई थीं कि बैलगाड़ी दौड़ एक विशेष ट्रैक पर आयोजित की जाए जो दो किलोमीटर से अधिक लंबा न हो.
अधिसूचना के अनुसार, जल्लीकट्टू के मामले में जब सांड बाड़े को छोड़े तो उसे 15 मीटर के दायरे में ही नियंत्रित करना होगा और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पशु पालन और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से सांडों की उचित जांच कराई जाए जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि आयोजन में शामिल होने के लिए उनका शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा है.
अधिसूचना में कहा गया था कि सांडों को प्रदर्शन बढाने वाली दवाएं न दी जाएं.
प्रदर्शन कार्यक्रमों में सांडों के इस्तेमाल पर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने 2011 में इस आधार पर रोक लगा दी थी कि खेल में जानवरों के साथ क्रूरता होती है.
अधिसूचना के अनुसार जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ के लिए जिले के अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता होगी और जिला पशु क्रूरता नियंत्रण सोसाइटी तथा राज्य पशु कल्याण बोर्ड या जिले के अधिकारियों द्वारा इस पर नजर रखी जाएगी जिससे कि इस तरह के आयोजनों के दौरान कोई अनावश्यक मुश्किल पैदा न हो.