मंदिरों में श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए ड्रेस कोड वाले आदेश पर रोक

मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय ने आज एकल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य के हिंदू धार्मिक एवं कल्याणार्थ दान (एचआर एंड सीई) विभाग के तहत आए मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं और अन्य आगंतुकों क लिए एक ड्रेस कोड बनाने के लिए कहा गया था. न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2016 4:14 PM

मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय ने आज एकल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य के हिंदू धार्मिक एवं कल्याणार्थ दान (एचआर एंड सीई) विभाग के तहत आए मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं और अन्य आगंतुकों क लिए एक ड्रेस कोड बनाने के लिए कहा गया था. न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम और न्यायाधीश एन किरुबाकरण ने एचआर एंड सीई विभाग और दक्षिणी जिला महिला संघ की जी सारिका की अपील विचारार्थ स्वीकार करते हुए आदेश पर रोक लगा दी.

इस मामले पर यह दूसरी अपील है. राज्य सरकार ने इससे पहले एकल जज के इस आदेश को कई आधारों पर चुनौती दी थी. इनमें से एक आधार मंदिर जाने वालों को ड्रेस कोड मानने के लिए विवश करने के औचित्य का था. उस अपील में कहा गया था कि अलग-अलग मंदिर अपने रिवाजों के अनुरूप अलग-अलग ड्रेस कोड बनाने के लिए स्वतंत्र हैं.
अपनी अपील में सारिका ने दावा किया था कि ड्रेस कोड किसी व्यक्ति के अपनी मर्जी के कपड़े पहनने के अधिकार का उल्लंघन है. एकल जज के आदेश को ‘‘बेहद भेदभावपूर्ण’ बताते हुए अपीलकर्ता ने दावा किया था कि जज द्वारा लगाए गए प्रतिबंध ‘‘मौलिक अधिकारों…विशेषकर महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं.’
तिरुचिरापल्ली जिले में मंदिर के एक समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति मांगने वाली याचिका का निपटान करते हुए न्यायाधीश एस विद्यानाथन ने 26 नवंबर को यह आदेश दिया था कि एक जनवरी से मंदिर जो वाले पुरुषों को ‘‘उपरी कपड़े के साथ धोती या पजामा या पैंट पहननी होगी और महिलाओं को ब्लाउज के साथ साडी या आधी साडी या उपरी कपडे के साथ चूडीदार पहनना होगा.’ जज ने यह भी कहा था कि बच्चे ‘‘पूरी तरह ढंकने वाले किसी भी परिधान में जा सकते हैं.’

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