2जी घोटाले संबंधी जेपीसी रिपोर्ट भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में पेश
नयी दिल्ली : टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की विवादास्पद रिपोर्ट आज विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच राज्यसभा में पेश कर दी गयी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट देने वाली इस रिपोर्ट को लेकर विपक्षी दलों का आरोप है कि समिति के उनके सदस्यों के असहमति ‘नोट्स’ के मूल […]
नयी दिल्ली : टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की विवादास्पद रिपोर्ट आज विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच राज्यसभा में पेश कर दी गयी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट देने वाली इस रिपोर्ट को लेकर विपक्षी दलों का आरोप है कि समिति के उनके सदस्यों के असहमति ‘नोट्स’ के मूल भाव को बदल दिया गया है.
विपक्ष के विरोध के बीच उप सभापति पी जे कुरियन ने व्यवस्था दी कि जेपीसी के संकल्प की शर्तो में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे समिति द्वारा मंजूर की गयी रिपोर्ट पर सदन में चर्चा हो सके. इस व्यवस्था के बाद कांग्रेस सदस्य आनंद भास्क रापोलु ने इस विवादास्पद रिपोर्ट सदन के पटल पर रख दिया.
कुरियन की इस व्यवस्था का भाजपा एवं द्रमुक के कई सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर विरोध करना शुरु कर दिया. वाम, अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी अपने स्थानों पर इसका विरोध कर रहे थे.इससे पूर्व भाजपा के उपनेता रविशंकर प्रसाद ने व्यवस्था के सवाल पर यह मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि उनकी असहमति टिप्पणी को बदल दिया गया. उन्होंने हैरत जतायी कि क्या इस मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो पायेगी.
टूजी घोटाले पर बनी 30 सदस्यीय जेपीसी में प्रसाद भी शामिल थे. उन्होंने सदन में संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा कि समिति का सदस्य होने के नाते उन्हें असहमति टिप्पणी देने का अधिकार प्राप्त था. ‘‘मैंने कड़ी असहमति टिप्पणी दी. दोषी को बख्श दिया गया. रिपोर्ट को पेश नहीं किया जाना चाहिए.’’