नयी दिल्ली: दिल्ली में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी ने दावा नहीं किया है ऐसे में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वह पुन: चुनाव में जाने के लिए तैयार हैं और इस बार मुकाबला उनके और भाजपा के बीच होगा.
केजरीवाल ने कहा, ‘‘हम इसके (फिर से चुनाव के) लिए तैयार हैं. फिलहाल हम सरकार बनाने के लिए ना तो भाजपा या कांग्रेस से समर्थन लेंगे और ना ही देंगे. लेकिन अगला चुनाव इस बार की तरह नहीं होगा और भाजपा तथा आप के बीच लड़ा जाएगा क्योंकि कांग्रेस बुरी तरह हार चुकी है.’‘ उन्होंने कहा कि पार्टी पुन: चुनाव की स्थिति में कमजोर माने जाने वाले अपने कुछ उम्मीदवारों को बदलेगी.
इससे पहले दिल्ली में सरकार गठन के लिए भाजपा को किसी तरह का समर्थन देने की बात खारिज करते हुए उन्होंने मंगलवार को कहा कि इस संदर्भ में पार्टी नेता प्रशांत भूषण ने जो कुछ कहा वह उनकी व्यक्तिगत राय थी. पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक में शामिल होने के बाद केजरीवाल ने सुबह ट्विटर पर लिखा, ‘‘भाजपा को समर्थन देने का कोई सवाल नहीं है. प्रशांत ने सोमवार को जो कहा वह उनकी व्यक्तिगत राय थी.’‘ भूषण ने सोमवार रात एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा था कि अगर भाजपा जनलोकपाल विधेयक पारित करने का लिखित आश्वासन दे तो आप उसे समर्थन देने पर विचार कर सकती है.
उन्होंने मंगलवार को खुद भी यह साफ करते हुए कहा कि उन्होंने कल रात जो कुछ कहा था वह उनकी व्यक्तिगत राय थी.सरकार के गठन को लेकर पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर भाजपा को सरकार बनानी चाहिए और कांग्रेस से समर्थन लेना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को जनादेश मिला है. वह सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. इसलिए उसे कोशिश करनी चाहिए और कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनानी चाहिए’’’’केजरीवाल ने कहा कि पार्टी के चुनाव चिह्न ‘झाड़ू’ और करीब आठ से नौ विधानसभा में कुछ डमी निर्दलीय उम्मीदवारों को दिये गये चिह्न ‘टॉर्च’ में समानता की वजह से वे उन क्षेत्रों में हार गये.
उन्होंने कहा कि एक्जिट पोल के नतीजों ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया क्योंकि ये शाम को आ गये थे लेकिन कुछ जगह पर मतगणना रात तक चलती रही’’ ये वोट भाजपा के पक्ष में चले गये और इन क्षेत्रों में आप मामूली अंतर से हार गयी. तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को शिकस्त देने वाले केजरीवाल ने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी ग्रामीण मतदाताओं पर छाप छोड़ने में विफल रही.
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने हमें प्रचार के दौरान जबरदस्त समर्थन दिया लेकिन यह वोटों में नहीं बदला’’ हम गांवों में मतदान के पैटर्न से थोड़े निराश हैं.’’ फिर से चुनाव की स्थिति पर उन्होंने कहा कि इस बार समय की कमी थी लेकिन अब हमारे पास काफी समय होगा और हर दिन एक विधानसभा को कवर किया जा सकता है.
2014 के लोकसभा चुनाव के संबंध में उन्होंने कहा कि हम रणनीति बना रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं समान विचारों के लोगों, अच्छे लोगों से साथ में आने की पील करंगा’अन्य पार्टियों के जो अच्छे नेता घुटन महसूस कर रहे हैं, वे यदि अपनी पार्टी की नीति के खिलाफ हैं तो विद्रोह करें’जरुरत पड़ी तो वे हमारे साथ आ सकते हैं.’’