आपसी प्रेम और भाईचारे का त्‍योहार, लोहड़ी आज

इंटरनेट डेस्क हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्‍योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. लोहड़ी आपसी प्रेम और भाईचारे को त्‍योहार है जिसमें लोग मिलकर एकदूसरे की खुशियों में शरीक होते हैं और बधाई देते हैं. खासतौर पर यह उत्‍तर भारत पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश और जम्‍मू कश्‍मीर में मनाया जाता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 4:02 PM

इंटरनेट डेस्क

हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्‍योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. लोहड़ी आपसी प्रेम और भाईचारे को त्‍योहार है जिसमें लोग मिलकर एकदूसरे की खुशियों में शरीक होते हैं और बधाई देते हैं. खासतौर पर यह उत्‍तर भारत पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश और जम्‍मू कश्‍मीर में मनाया जाता है. अलग-अलग नामों से मक्रर संक्राति के एक दिन पहले या इसके आसपास देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में कोई न कोई त्‍योहार मनाया जाता है.

लोहड़ी फसलों के पकने का संदेश देता है. पंजाबी परिवारों में इस दिन घर-घर जाकर लोहड़ी मांगी जाती है और गीत गाये जाते हैं. लोहड़ी के रूप में बच्‍चों को कुछ पैसे, मूंगफली, खील, रेवड़ी और मक्‍के की खील मिलती है.

लोहड़ी की संध्‍या आंगन या किसी खाली जगह पर आग जलाई जाती है. लोग आग के चारों ओर घूमते है नाचते-गाते हैं और आग में मूंगफली, खील, रेवड़ी और मक्‍के की खील की आहूति देते हैं. ढोल की आवाज के बीच भांगड़ा और गिद्दा इस मौके पर खास आकर्षण का केंद्र होता है.

हिंदू परंपरा में ऐसा माना जाता है कि अग्नि जो डाला जाता है वो उनके पितरों तक पहुंच जाता है. जिस घर में नयी शादी हुई हो या फिर उनके घर में नये मेहमान (बच्‍चे) का आगमन हुआ हो उन्‍हें इस मौके पर खास बधाई दी जाती है. लोहड़ी वाले दिन परिवार के लोग जलती हुई लोहडी की परिक्रमा करते हैं और नयी फसल (गेहूं की बालियां) की से उसकी पूजा करते हैं और आगे में कुछ दाने डालते हैं.

लोहड़ी के दिन जिन लकडियों और उपलों को जलाया जाता है उसकी राख को अगले दिन सूर्योदय से पहले सभी लोग अपने घरों में ले जाते हैं क्‍योंकि इस राख को भगवान का आशीर्वाद माना जाता है.

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