सम-विषम योजना : अपील पर तत्काल सुनवाई से SC का इंकार
नयी दिल्ली : दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए चलायी जा रही सम-विषम योजना पर आप सरकार की अधिसूचना तथा इसे बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने आज तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया. याचिका को ‘प्रचार की एक तिकडम’ करार देते हुए […]
नयी दिल्ली : दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए चलायी जा रही सम-विषम योजना पर आप सरकार की अधिसूचना तथा इसे बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने आज तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया. याचिका को ‘प्रचार की एक तिकडम’ करार देते हुए प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा ‘इस मामले में कोई जल्दी नहीं है. इसे समय के साथ चलने दीजिये.’ पीठ ने यह भी कहा ‘सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठा रही है.
लोगों की प्रदूषण के कारण जान जा रही है और आप प्रचार हासिल करने के लिए इसे चुनौती दे रहे हैं.’ न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति आर भानुमति इस पीठ के अन्य सदस्य हैं. प्रधान न्यायधीश ने यह भी कहा कि यहां तक कि न्यायाधीश तक कार पूलिंग कर रहे हैं तो इस तरह की याचिकाओं का मतलब प्रयास को निष्फल करना है. पीठ ने कहा कि यह बहुत भारी पड़ सकता है. न्यायालय ने कहा ‘आप देखते हैं, कि हम कार पूलिंग कर रहे हैं. लेकिन आप मदद नहीं कर रहे हैं.’
बहरहाल, न्यायालय ने कहा कि वह डीएमआरसी जैसे प्राधिकरणों से सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की आवृत्ति बढाने को कहेगा ताकि लोगों को समस्या न हो. न्यायालय ने यह व्यवस्था बी बद्रीनाथ द्वारा दायर एक याचिका पर दी जो पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए रखी गयी थी. उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को आप सरकार की योजना में यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था कि योजना के तहत रोक केवल 15 जनवरी तक ही है.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि हालांकि योजना के कार्यान्वयन से समाज के एक वर्ग को भले ही परेशानी हो रही है, लेकिन न्यायिक समीक्षा का अधिकार ऐसे नीतिगत निर्णयों में सुधार पर विचार करने के लिए विस्तृत नहीं किया जा सकता.’ पिछले साल दिसंबर में उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किये थे. इनमें डीजल संचालित वाहनों (एसयूवी) और 2000 सीसी तथा इससे अधिक की इंजन क्षमता वाली निजी कारों के, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पंजीकरण पर 31 मार्च 2016 तक रोक लगाना शामिल था.
साथ ही न्यायालय ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले हल्के और भारी वाणिज्यिक वाहनों पर लगाए जाने वाले पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार (ईसीसी) में 100 फीसदी वृद्धि का आदेश देते हुए कहा था कि उसके निर्देशों का उद्देश्य उस दिल्ली के निवासियों की मुश्किल दूर करना है जिसे दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर कहा जाता है.