समलैंगिकता मुद्दे पर सभी विकल्पों पर विचार कर रही है सरकार

नयी दिल्ली : समलैंगिकता के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से पैदा हुए विवाद के बीच सरकार ने आज कहा कि वह समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से निकालने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है और शीर्ष अदालत में उपचारात्मक याचिका दाखिल करना उनमें से एक विकल्प हो सकता है. विधि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2013 4:03 PM

नयी दिल्ली : समलैंगिकता के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से पैदा हुए विवाद के बीच सरकार ने आज कहा कि वह समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से निकालने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है और शीर्ष अदालत में उपचारात्मक याचिका दाखिल करना उनमें से एक विकल्प हो सकता है.

विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने यहां कहा, सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर दिए गए फैसले को बहाल करवाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है. हमें वयस्क आम सहमति पर आधारित संबंधों को अपराध की श्रेणी से अवश्य ही निकलवाना होगा. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला गलत है और शीर्ष अदालत के फैसले को सही करने के लिए सभी विकल्पों को देखा जाएगा.

फैसले को निराशाजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि अदालत को इस मामले में मौजूदा सामाजिक और नैतिक मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में समीक्षा या उपचारात्मक याचिका दाखिल करनी चाहिए और मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय पीठ द्वारा की जानी चाहिए.

चिदंबरम ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला बहुत सोचा समझा शोध पर आधारित था जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार किया था और उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं दी थी.उन्होंने साथ ही कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं देने का सरकार का फैसला उनकी पार्टी का भी विचार है.चिदंबरम ने कहा कि फैसला देने वाली पीठ को मामले को एक पांच सदस्यीय पीठ को सौंपना चाहिए था और कानून की व्याख्या में जड़ता नहीं होनी चाहिए.

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