आप ने कहा,दिल्ली में सरकार नहीं बनाएंगे

गाजियाबाद : दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की संभावना तेजी से बलवती होती जा रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव में 28 सीटों के साथ दूसरे सबसे बड़े दल के रुप में उभरी आम आदमी पार्टी ने आज कहा कि वह सरकार नहीं बनाएगी.वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक के बाद आप के नेता योगेन्द्र यादव ने मीडिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2013 11:22 PM

गाजियाबाद : दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की संभावना तेजी से बलवती होती जा रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव में 28 सीटों के साथ दूसरे सबसे बड़े दल के रुप में उभरी आम आदमी पार्टी ने आज कहा कि वह सरकार नहीं बनाएगी.वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक के बाद आप के नेता योगेन्द्र यादव ने मीडिया को बताया कि जब विधायक दल के नेता अरविंद केजरीवाल कल उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलेंगे तो उन्हें बता देंगे कि पार्टी के पास बहुमत नहीं है और वह सरकार बनाने के इच्छुक नहीं हैं.

यादव ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने केजरीवाल को एक पत्र भेजकर औपचारिक रुप से सरकार के गठन के बारे में विचार विमर्श के लिए उन्हें आमंत्रित किया है. हम उनसे सुबह 10.30 बजे मिलने जा रहे हैं. हम उन्हें हमारी स्थिति स्पष्ट करेंगे. हम उन्हें बताएंगे कि हमारे पास बहुमत नहीं है. साथ ही हम विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी भी नहीं हैं. हम यह तमाम बातें उनके सामने रख देंगे. हम जोड़तोड़ की राजनीति के हक में नहीं हैं.’’उन्होंने बताया कि वह अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए एक ज्ञापन देंगे. यादव ने दावा किया कि आप की वजह से दूसरी पार्टियों ने भी अपनी रणनीति बदलते हुए जैसे तैसे सरकार बनाने की पूर्व परंपरा से हटकर सरकार बनाने का दावा पेश न करने का फैसला किया.

इससे पूर्व उपराज्यपाल के साथ मुलाकात के बाद भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हर्ष वर्धन ने कहा कि दिल्ली की जनता द्वारा स्पष्ट बहुमत नहीं दिए जाने के कारण भाजपा विपक्ष में बैठना पसंद करेगी. उपराज्यपाल ने हर्षवर्धन को दिल्ली में सरकार के गठन की संभावनाओं का पता लगाने के प्रयासों के तहत बुलाया था. वर्धन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चूंकि भाजपा दिल्ली चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी है इसलिए उपराज्यपाल ने सरकार के गठन के बारे में विचार विमर्श के लिए बुलाया था. हमने उन्हें बताया कि हमारे पास स्पष्ट बहुमत के लायक सीटें नहीं हैं इसलिए पार्टी विपक्ष में बैठना पसंद करेगी.’‘

भाजपा को उसके सहयोगी अकाली दल की एक सीट मिलाकर 70 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीटें मिली हैं, जबकि आम आदमी पार्टी को 28 सीटें हासिल हुई हैं. कांग्रेस की आठ सीटें हैं और जदयू को एक सीट पर जीत हासिल हुई है, जबकि मुंडका सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहा. वर्धन ने कहा कि अगर कोई अन्य पार्टी सरकार बनाना चाहती है तो वह उसका स्वागत करेंगे, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई वादा नहीं किया कि भाजपा इस तरह की सरकार को समर्थन देगी या नहीं.

इस तरह के सुझाव भी हैं कि पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी, जो दूसरे सबसे बड़े दल के रुप में उभरी है, को भाजपा अथवा कांग्रेस के बाहरी सहयोग से सरकार बनानी चाहिए, लेकिन आप ने इस ख्याल से कतई इंकार किया है. यह पूछे जाने पर कि क्या उनका विचार राजधानी को ताजा चुनाव की तरफ धकेलना है, वर्धन ने कहा कि उनकी पार्टी को खंडित जनादेश के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.उल्लेखनीय है कि आप के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने कल ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी कांग्रेस अथवा भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने की बजाय ताजा चुनाव पसंद करेगी.

उपराज्यपाल कार्यालय ने एक वक्तव्य में कहा कि वर्धन ने सरकार बनाने में असमर्थता जताई है क्योंकि भाजपा के पास अपने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ दिल्ली विधानसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं है. वर्धन ने उपराज्यपाल को एक पत्र भी दिया है, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर अपना समर्थन दिया हालांकि ऐसी स्थिति में जब हमें स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है, हम पार्टी की उच्च नैतिक परंपराओं का पालन करते हुए विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे.’‘ पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली की जनता की मुख्य परेशानी कांग्रेस का कुशासन और उद्देश्यहीन नीतियां हैं. लोगों की समस्याओं को सुनने की बजाय कांग्रेस सरकार ने उनपर ध्यान ही नहीं दिया. इसलिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली और पार्टी केवल आठ सीटों पर सिमट गई.’‘ पत्र के अनुसार, ‘‘उनकी नेता भी अपनी सीट हार गईं. हम विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली के लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट देखना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि हम चार सीटों से बहुमत से चूक गए.’‘मीडिया के साथ अपने संवाद में वर्धन ने कहा कि भाजपा खरीद फरोख्त में नहीं पड़ेगी क्योंकि वह ईमानदारी की राजनीति पर भरोसा करती है. ‘‘राजनीति ईमानदारी से होनी चाहिए. हमारे लिए विपक्ष में बैठना और लोगों की सेवा करना बेहतर होगा.’‘यह पूछे जाने पर कि क्या वह आप को समर्थन देंगे, वर्धन ने कहा कि आप को समर्थन देने की बात ही कहां उठती है क्योंकि पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह न तो किसी को समर्थन देगी और न ही किसी का समर्थन लेगी.

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