J&K : ”महबूबा” मुख्यमंत्री बनने की जल्दबाजी में नहीं
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर जारी सस्पेंस के बीच पीडीपी के रुख में नरमी आई है लेकिन महबूबा मुख्यमंत्री बनने की जल्दबाजी में नहीं दिख रहीं हैं. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के घर रविवार को हुई बैठक में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने को लेकर पार्टी नेताओं के रुख में नरमी देखी […]
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर जारी सस्पेंस के बीच पीडीपी के रुख में नरमी आई है लेकिन महबूबा मुख्यमंत्री बनने की जल्दबाजी में नहीं दिख रहीं हैं. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के घर रविवार को हुई बैठक में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने को लेकर पार्टी नेताओं के रुख में नरमी देखी गयी. सूत्रों की माने तो 26 जनवरी के आसपास महबूबा शपथ ले सकतीं हैं.
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के नौ दिनों बाद रविवार को पीडीपी के कोर ग्रुप ने बैठक की और भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाने के संकेत दिए, लेकिन पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस बैठक में कहा कि वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की जल्दबाजी में नहीं हैं. कोर ग्रुप की बैठक में महबूबा को सरकार गठन के बारे में आखिरी फैसला करने के लिए अधिकृत किया गया. पीडीपी नेता नईम अख्तर ने बैठक के बाद बताया, ‘‘सरकार गठन के बारे में पार्टी महसूस करती है कि हमारे लिये गठबंधन एजेंडा पवित्र दस्तावेज है तथा सईद (मुफ्ती मोहम्मद) के तहत काफी प्रगति हुई है.’
उन्होंने कहा, ‘‘कोर ग्रुप ने पार्टी अध्यक्ष महबूबा को अधिकृत किया है कि वह जो चाहे निर्णय कर सकती हैं (सरकार गठन के बारे में).’ अख्तर ने कहा कि पीडीपी ने भाजपा के साथ सरकार गठन के लिए कोई शर्त नहीं रखी है लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है. ‘‘पीडीपी की तरफ से कोई शर्त नहीं.’ उनसे जब यह पूछा कि कितनी जल्दी सरकार गठित होगी, उन्होंने कहा, ‘‘कोई समय सीमा नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘‘जोर गठबंधन के एजेंडा पर है जो मुफ्ती साहब के दृष्टिकोण का हिस्सा है.’ अख्तर ने कहा कि महबूबा की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी नेताओं ने इस बात पर अपने विचार रखे कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के मिशन को कैसे आगे बढाया जाए. मुफ्ती का सात जनवरी को दिल्ली के एम्स में निधन हुआ था.
उन्होंने कहा कि मुफ्ती साहब के दृष्टिकोण का सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु था कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच मेलमिलाप हो. अख्तर ने कहा कि पार्टी ने प्रधानमंत्री की पिछले माह की लाहौर यात्रा और पठानकोट हमले को लेकर केंद्र द्वारा दिखायी गयी परिपक्वता का स्वागत किया था. उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका :मुफ्ती का: मानना था कि भारत एवं पाकिस्तान की दोस्ती कश्मीर के लिए आवश्यक है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच खराब संबंधों का शिकार रहा है.’