अश्विनी कुमार का इस्तीफा नामंजूर

नयी दिल्ली : विपक्ष की मांग से अविचलित सरकार ने आज कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग को यह कह कर नामंजूर कर दिया कि कोयला घोटाले पर उच्चतम न्यायालय को दी गई सीबीआई की रिपोर्ट के संबंध में उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है. कुमार ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:30 PM

नयी दिल्ली : विपक्ष की मांग से अविचलित सरकार ने आज कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग को यह कह कर नामंजूर कर दिया कि कोयला घोटाले पर उच्चतम न्यायालय को दी गई सीबीआई की रिपोर्ट के संबंध में उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है. कुमार ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उपस्थिति में हुई बैठक के बाद कहा, ‘‘मैंने कुछ गलत नहीं किया है. सच्चाई की जीत होगी.’’उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात करके अपना पक्ष रखा. वह संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ से भी मिले.

कमलनाथ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता. वह इस्तीफा नहीं देंगे.’’सीबीआई के हलफनामे के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में निर्णय करना अदालत का काम है.’’कुमार के करीबी सूत्रों ने कहा कि कानून मंत्री को दोष नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि सीबीआई को कानूनी दस्तावेजों पर विधि मंत्री से सलाह करनी होती है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा कुमार चूंकि सीबीआई को नियंत्रित करने वाले अधिकृत व्यक्ति नहीं हैं इसलिए एजेंसी उनसे जिन बातों को साझा नहीं करना चाहती है, उसके लिए वह स्वतंत्र है. सूत्रों ने यह दावा भी किया सीबीआई से बैठक का मतलब यह नहीं है कि वह सीबीआई की रिपोर्ट बदलना चाहते थे.

उधर कमलनाथ ने कहा कि कुमार ने कुछ गलत नहीं किया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने भी कहा है कि उसने केवल मसौदा रिपोर्ट मंत्री को दिखाई थी, अंतिम रिपोर्ट नहीं. यह पूछे जाने पर प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के अधिकारी उस बैठक में क्यों मौजूद थे जिसमें विधि मंत्री ने सीबीआई के अधिकारियों से भेंट की, उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की विषय वस्तु से संबंधित जानकारियां कोयला मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करायी जानी थीं और कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री के पास कोयला मंत्रालय था.

मैंने कुछ भी गलत नहीं किया:कानून मंत्री
कोयला घोटाले की सीबीआई में दखल को लेकर विपक्षी पार्टियों का वार झेल रहे कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने आज कहा कि उन्होंने ‘कुछ भी गलत नहीं किया’. सरकार ने भी अश्वनी कुमार का बचाव करते हुए उनके इस्तीफे की संभावना खारिज की है. सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई संप्रग की एक बैठक के बाद कुमार ने कहा, ‘‘ मैंने कुछ गलत नहीं किया. सच की जीत होगी.’’ बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे.

विपक्षी दल कुमार को बर्खास्त किए जाने की मांग कर रहे हैं. कुमार ने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की और उन्हें इस मुद्दे पर अपना जवाब दिया. कानून मंत्री ने संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ से अलग से मुलाकात की. कमलनाथ ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा,‘‘ उनके (कुमार) इस्तीफे का प्रश्न ही नहीं उठता. वह इस्तीफा देने नहीं जा रहे हैं.’’ सीबीआई के हलफनामे के संबंध में कमलनाथ ने कहा, ‘‘ इस पर निर्णय करना अदालत का काम है.’’उन्होंने कहा कि सीबीआई ने केवल यह कहा है कि रिपोर्ट का मसौदा मंत्री को दिखाया गया ना कि अंतिम रिपोर्ट उन्हें दिखाई गई.’’

यह पूछे जाने पर कि कानून मंत्री के साथ सीबीआई की बैठक में पीएमओ और कोयला मंत्रलय के अधिकारी भी क्यों उपस्थित थे, उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की विषयवस्तु कोयला मंत्रलय द्वारा उपलब्ध कराई जानी थी और प्रधानमंत्री के पास कुछ समय के लिए कोयला मंत्रलय का प्रभार था. उन्होंने कहा, ‘‘ कानूनी पहलू कानून मंत्री को देखना होता है.’’उल्लेखनीय है कि आज प्रथम पहर उच्चतम न्यायालय में सीबीआई द्वारा हलफनामा दाखिल किए जाने के मद्देनजर सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री के साथ परामर्श के बाद कमलनाथ ने मीडिया से बातचीत की.

सीबीआई के हलफनामे से सरकार की मुश्किल बढ़ी
कोयला घोटाले में सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट दिखाने के मामले में केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ गयी है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए माना है कि स्टेटस रिपोर्ट को कानून मंत्री और पीएमओ को दिखाया गया था. गौरतलब है कि इससे पहले सरकारी वकील हरीन रावल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रिपोर्ट किसी से भी शेयर नहीं की गई.

सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए इस हलफनामे में मूल रिपोर्ट में बदलाव का जिक्र नहीं किया गया है. हलफनामे में बस इतना जिक्र है कि कि स्टेटस रिपोर्ट कानून मंत्री अश्विनी कुमार के अलावा पीएमओ और कोयला मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी को भी दिखाई गई थी.उधर, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा सीबीआई के इस हलफनामे को दिलचस्प बताते हुए सरकार को बचाने की कोशिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि इसमें जितनी बातें बताई गई हैं, उससे ज्यादा छिपाई गई हैं. प्रशांत भूषण ने कहा कि इस रिपोर्ट में यह कहीं नहीं बताया गया है कि सरकार के लोगों के रिपोर्ट देखने के बाद इसमें क्या बदलाव किया गया. उन्होंने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर ने सरकार के लोगों के साथ बैठकर यह हलफनामा तैयार किया है.

कोयला घोटाला:तृणमूल ने कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा

कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में उच्चतम न्यायालय में सीबीआई के हलफनामे से उठे विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस ने कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे के साथ सीबीआई निदेशक को कोयला घोटाले की जांच कर रही लोक लेखा समिति के समक्ष बुलाने की आज मांग की.

तृणमूल के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस तरह की भावना है कि सीबीआई कांग्रेस अन्वेषण ब्यूरो बन गयी है. उसे मामलों को निपटने में और सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि वह खुद को रोक नहीं सकी और सरकार की इच्छा के अनुसार चली. यह हमारी व्यवस्था के लिए खतरनाक है.’’सीबीआई के हलफनामे के मद्देनजर क्या कानून मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, इस सवाल का जवाब उन्होंने ‘हां’ में दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री संविधान के तहत शपथ लेते हैं कि हम कानून का पालन करेंगे. यह दर्शाता है कि वे कानून का पालन नहीं कर रहे और इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.’’

सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने आज उच्चतम न्यायालय में कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले पर एजेंसी की रिपोर्ट को कानून मंत्री अश्विनी कुमार की इच्छानुरुप उनके साथ साझा किया गया था और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा कोयला मंत्रालय के आला अधिकारियों ने भी इसे देखा था. रॉय ने कहा कि घोटाले की जांच कर रही पीएसी के सदस्य के तौर पर वह लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध करेंगे कि सिन्हा को समिति के समक्ष बुलाया जाए ताकि वह बता सकें कि उन्होंने रिपोर्ट को कानून मंत्री और पीएमओ के साथ साझा किसके कहने पर किया और क्या उन पर कोई दबाव था. तृणमूल के एक और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने कहा कि अगर कोई मंत्री सीबीआई निदेशक को बुलाता है तो यह बैठक अपने आप में अदालत की अवमानना है. उन्होंने पूछा, ‘‘मूल रिपोर्ट कहां है?’’

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