दलित छात्र रोहित वेमुला की मौत ने दलित राजनीति पर किया जोरदार प्रहार

हैदराबाद : हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में दलित छात्र रोहित वेमुला कीआत्महत्या ने दलित राजनीति को एक बार फिर हवा दे दी. सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस मुद्देपरअपनी पार्टी के ऐसे नेताओं को आगे किया जो पार्टी का दलित चेहरा हैं. कांग्रेस ने जहां अपनी दलितनेता कुमारी शैलजा को हैदराबाद भेजा और प्रेस कान्फ्रेंस कर यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2016 5:19 PM

हैदराबाद : हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में दलित छात्र रोहित वेमुला कीआत्महत्या ने दलित राजनीति को एक बार फिर हवा दे दी. सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस मुद्देपरअपनी पार्टी के ऐसे नेताओं को आगे किया जो पार्टी का दलित चेहरा हैं. कांग्रेस ने जहां अपनी दलितनेता कुमारी शैलजा को हैदराबाद भेजा और प्रेस कान्फ्रेंस कर यह कहने को कहा किभाजपा राज में दलित सुरक्षित नहीं हैं, वहीं भाजपा ने अपनेसबसेबड़े दलित चेहरे व केंद्रीय सामाजिक मंत्रीथावरचंद गहलौत को मोर्चे पर तैनात किया. देश में लगभग 16 करोड़ 40 लाख की संख्या दलितों की है. एेसे में इस मुद्दे को कोई भी राजनीतिक दल हाथ से नहीं जाने देना चाहता.अाज हैदराबादसहित देश के दूसरे शहरों में भी छात्रों ने तीखा विरोध प्रदर्शन किया है.

क्षेत्रीय हो या राष्ट्रीय सभी पार्टियां इसे भुनाने में लगीहैं.कांग्रेसव आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर भाजपा व नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं. राहुल गांधी ने आज हैदराबाद का दौरा करआंदोलन कर रहे छात्रों सेभेंट की और मृतकके परिजनों से मिले. उधर, तृणमूल कांग्रेस ने भी हैदराबाद में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है ताकि इस पूरे मामले को अच्छी तरह समझ सके. तो क्या यह एक मौका भर है कि एक बार फिर राजनीतिक पार्टियां राजनीतिकी धार तेज कर सकें या फिर उन दलों व उन राजनेताओंकी सचमुचउनकीसंवेदनाएं भी जुड़ी हैं?

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दलितों के दम पर ही लोकसभा में भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत
भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में जनता का भरपूर साथ मिला. भाजपा ने कई राज्यों में दलित नेताओं के अपने साथ जोड़ा,जिसका उसे भरपूर राजनीतिक लाभ हुआ. उदित राज की इंडियन जस्टिस पार्टी का भाजपा में विलय हो गया. बिहार में भी रामविलास पासवान की पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी ने भाजपा के साथ गंठबंधन किया. महाराष्ट्र में रामदास अठावले ने भी भाजपा का साथ दिया. इस तरह भाजपा दलितों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रही और उनका बड़ा वोट अपने ओर ट्रांसफर करा कर जबरदस्त जीत दर्ज करायी.नरेंद्रमोदीने हमेशा खुद को दलितोंव अतिपिछड़ों का हितैषी के रूप में पेश किया. यह दलित वोट बैंक कभी कांग्रेस का आधार वोट बैंक होता था और आज वह टुकड़ों टुकड़ों में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच है. ऐसे में राहुल जानते हैं किऐसे मुद्दों पर तीखेविरोध केबिना उनका कोर वोट बैंक उनके पास वापस आने वाला नहीं है.
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दलित राजनीति में कमजोर पड़ रही है भाजपा की पकड़
लोकसभा चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी ने दलितों का वोट हासिल किया हो, लेकिन बाद केदिनों के कुछघटनाएं उसके खिलाफ गयी हैं. यह उसके लिए खतरे की घंटी है. कुछ ही महीनों के अंतराल पर दलितों से जुड़े मुद्दे पर उसकेदोकेंद्रीय मंत्रियों का नाम किसी न किसी तरह विवाद मेंआ गया है. पिछले साल केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने आपसी रंजिश में हरियाणा में हुई दलितोंबच्चों की हत्या पर बयान दिया कि अगर कोई किसी कुत्ते पर पत्थर भी फेंकता है तो उसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदारा है क्या? वीके सिंह के इस बयान पर विपक्षी दलों ने खूब हमला किया. बहुजन समाजवादी पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने यहां तक कह दिया कि भाजपा सरकार में दलित सुरक्षित नहीं है. भाजपा को वीके सिंह के बयान का खामियाजा उठाना पड़ा. इस कारण संसद में बरपे हंगामे से कई अहम विधेयक लटक गये, वहीं बिहार चुनाव में भी पार्टी को नुकसान हुआ.

राहुल गांधी ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज विरोध कर रहे छात्रों से मिलने हैदराबाद पुहंचे. यहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को जमकर कोसा. उन्होंने कहा कि हमें छात्रों की बात सुननी चाहिए भले ही हम उनके विचारों से सहमत ना हों. राहुल ने छात्र आत्महत्या मामले के लिए बंडारू दत्तात्रेय व विश्वविद्यालय केवीसी के दबाव को जिम्मेवार बताया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय पर भी जोरदार हमला किया. उन्होंने छात्रों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले में जो भी दोषी है उन्हें जरूर सजा मिलनी चाहिए. राहुल गांधी ऐसे किसी भी मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाहते जो उनके खोये जनाधार को एक बार फिर वापस लाने में मदद करे. दलित वोट बैंक एक वक्त में कांग्रेस की ताकत रही है. ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष ऐसा सुनहारा मौका हाथ से कैसे जाने देते. इन मुद्दों को उठाकर राहुल गांधी की कोशिश है कि एक बार फिर उनकी पार्टी दलितों की चहेती बन जाये. हरियाणा में हुए दलितों की हत्या पर भी कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया था मौके की तलाश में बैठी कांग्रेस इस मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाहती.
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अरविंद केजरीवाल ने साधा प्रधानमंत्री पर निशाना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रोहित की आत्महत्या पर शोक जताते हुए कहा, प्रधानमंत्री को इस देश से माफी मांगनी चाहिए और केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय कोबरखास्त कर देना चाहिए. आत्महत्या के मामले को ‘लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और समानता की हत्या’ करार दिया. केजरीवाल ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘यह आत्महत्या नहीं है. यह हत्या है. यह लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और समानता की हत्या है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को मंत्रियों को निलंबित करना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए.’ मुख्यमंत्री ने अन्य ट्वीट में कहा, ‘दलितों का उत्थान मोदी सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है. इसके बावजूद मोदीजी के मंत्रियों ने पांच दलित छात्रों को बहिष्कृत व निष्कासित किया. ‘
कई राज्यों में होने हैं चुनाव
साल 2016-17 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. फिलहाल असम में चुनाव होने से हैं उसके बाद पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगालमें.इन राज्यों में भी राजनीतिक दलों ने जनता को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी है. कुछ महीनों पहले बिहार में हुआ विधानसभा चुनाव भले ही बिहार के विकास के मुद्दे पर लड़ा गया लेकिन दलित और पिछड़े वर्गो ने इस चुनाव में अहम भूमिका निभायी. बिहार चुनाव के पहले दादरी में हुई घटना को लेकर बना माहौल राजनीतिक रंग तब लेने लगा जब कवि, साहित्यकारों ने पुरस्कार वापस करना शुरू कर दियाऔर इससे भाजपा के खिलाफ माहौल बना. अब भाजपा के लिए दिक्कत है किरोहित की आत्महत्या का मामला भी उसके लिएमाहौल न बना दे औरपूर्व के दो सत्रों की तरहसंसद के बजट सत्र में भी एक बार फिर उसके अहम सुधारों वाले विधेयक अटके न रह जायें.

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