हैदराबाद छात्र खुदकुशी मामला :क्या झूठ बोल रहा है ABVP छात्र सुशील
नयी दिल्ली/हैदराबाद : रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले में नया खुलासा हुआ है. जिस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रा सुशील कुमार के साथ हैदराबाद विश्वविद्यालय के पांच दलितों पर मारपीट का आरोप लगा था जिसके कारण उसका इलाज अस्पताल में चल रहा था दरअसल उसका इलाज चोट के कारण नहीं चल रहा था बल्कि […]
नयी दिल्ली/हैदराबाद : रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले में नया खुलासा हुआ है. जिस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रा सुशील कुमार के साथ हैदराबाद विश्वविद्यालय के पांच दलितों पर मारपीट का आरोप लगा था जिसके कारण उसका इलाज अस्पताल में चल रहा था दरअसल उसका इलाज चोट के कारण नहीं चल रहा था बल्कि अस्पताल में वह अपेंडिक्स का इलाज करवा रहा था. इस बात का खुलासा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने किया है. अखबार ने हैदराबाद विवि के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुपम रॉव के हवाले से यह खबर छापी है. रॉव के मुताबिक पथरी की शिकायत के बाद सुशील ऑपरेशन पिछले 7 अगस्त को किया गया. उसे 4 अगस्त को उसके भाई ने अस्पताल में भर्ती कराया था.
सुशील की ओर से शिकायत की गयी थी कि अंबेडकर छात्र संगठन के लोगों ने उसकी पिटाई की जिसके बाद उसका ऑपरेशन किया गया हालांकि जब उसे अस्पताल में देखने के लिए रॉव वीसी के साथ गए तो अपेंडिक्स की बात सामने आयी. अपेंडिक्स की बात अस्पताल के डॉक्टर ने भी रॉव को बतायी थी. आपको बता दें रविवार को खुदकुशी करने वाला छात्र रोहित भी इसी दलित संगठन का कार्यकर्ता था जिसे विवि ने मारपीट के आरोप में निलंबित कर दिया था. रोहित और उनके चार अन्य साथियों को हॉस्टल से भी निकाला गया था और बताया जाता है कि उन्हें दो हफ़्ते खुले आसमान के नीचे गुज़ारने पड़े थे.
इधर, दो दिन तक भूमिगत रहने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की हैदराबाद शाखा के अध्यक्ष सुशील कुमार खुद मंगलवार को सबके सामने आए इतना ही नहीं उसने रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले की जांच की मांग भी की. गौरतलब है कि सुशील कुमार वहीं छात्र हैं जिसके साथ रोहित समेत पांच दलित छात्रों का कथित तौर पर झगड़ा हुआ और उसके बाद केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखा था. सुशील कुमार ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा कि छात्रों के निलंबन का रोहित की आत्महत्या से कोई संबंध नहीं दिख रहा है. वो आत्महत्या करने वाला व्यक्ति नहीं था. इस मामले की पूरी जांच सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट या फिर सीबीआई से करायी जानी चाहिए.
उधर, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अप्पा राव ने अपना बचाव करते हुए कहा कि छात्रों पर कार्रवाई के लिए उन पर केंद्र की ओर से कोई दबाव नहीं बनाया गया था. न ही कार्रवाई के लिए मंत्रालय की ओर से आयी चिट्ठी का उन्होंने जवाब ही दिया.