अहमदाबाद : 2002 के गुजरात दंगों पर किताब लिख रही स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल की दंगों के एक आरोपी ने बातचीत के दौरान पिटाई कर दी है. रेवती जनवरी 2015 से लगातार गुजरात का दौरा कर रही हैं और घटनास्थल पर जाकर पीड़ितों व आरोपियों से मुलाकात कर उस स्थिति को जानने का प्रयास कर रही है. इसी दौरान दंगों के एक आरोपी सुरेश रिचर्डउर्फ सुरेश छारा ने उनकी काफी पिटाई कर दी और उनके चेहरे पर पिटाई के निशान व चोट साफ तौर पर दिख रहे हैं. सुरेश 31 साल के जेल की सजा भुगत रहा है, हालांकि इन दिनों व पैरोल पर बाहर आया है.कल शाम की इस घटना की पत्रकार रेवती लौल ने आज दिन में अहमदाबाद की एसीपी मंजीता बंजारा से भेंट कर शिकायत की, जिसके बाद उनकी पिटाई करने वाला आरोपी गिरफ्तार कर लिया गया.
रेवती इस मामले में आज गुजरात के वरीय पुलिस अधिकारियों से मिलने की बात सुबह ही मीडिया से कही थी. रेवती ने इस संबंध में बताया है कि वे 2002 से गुजरात का दौरा कर रही हैं और नरोडा पाटिया के थाड़ा नगर इलाके में कई बार गयी हैं और लोगों से बात की है. उन्होंने कहा कि इसी दौरान उनकी भेंट सुरेश रिचर्ड की पत्नी से हुई. दंगों के आरोपी सुरेश ने दंगों के दौरान कई महिलाओं से बलात्कार किया था और बयान दिया था कि मैंने औरतों से रेप किया और उनका आचार बन गया.
Ahmedabad: Journalist Revati Laul meets ACP Manjita Vanjara regarding alleged attack on her pic.twitter.com/uZJb2JVtvO
— ANI (@ANI) January 21, 2016
रेवती ने बताया कि मैं उसके परिवार सेकई बार मिली और एक बार उसकी पत्नी ने मुझे बुलाया और कहा कि उनके साथ एक हादसा हुआ है और वे यहां उनके अलावा किसी स्ट्रांग महिला को नहीं जानती है. सुरेश की पत्नी ने कहा कि उसके पति ने उसके साथ बलात्कार किया और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे पुलिस, कोर्ट में कैसे शिकायत करें.
2002 riots convict Suresh Chhara who was out on parole, arrested for allegedly attacking Journalist Revati Laul. pic.twitter.com/IolfCMXLss
— ANI (@ANI) January 21, 2016
रेवती के अनुसार, जब वे सुरेश से इन्हीं मामलों में बात कर रही थीं, तब पांच मिनट में ही वह उठा और उन्हें बेरहमी से पिटने लगा. यह घटना कल देर शाम की है. रेवती ने कहा कि वे अफसरों से शिकायत कर यह पूछेंगी कि आखिर उसे पैरोल कैसी मिली और उसका पैरोल रद्द करने की मांग करेंगी.
कौन हैं रेवती लौल?
रेवती लौल एक टीवी पत्रकार हैं और एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका से जुड़ी हैं. वे पिछले 16 सालों से डाक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण करती हैं.उन्होंने गुजरातदंगों व असमकीउल्फा समस्या पर उल्लेखनीयरिपोर्टिंग की है. वे राजनीतिक विषयों पर भी एक पत्रिका में लिखती हैं. वे वंचित बच्चाें के लिए बनाये गये एनजीओ तारा की संस्थापक सदस्य हैं.